यूपीएससी की परीक्षा देश के सबसे कठिन परीक्षा में एक मानी जाती है. हर साल लाखों की संख्या में अभ्यर्थी upsc की परीक्षा देते हैं लेकिन इसमें वही सफल हो पाते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं और एक सही रणनीति अपनाते हैं.
आपको एक ऐसे अभ्यर्थी की कहानी बताने वाले हैं जिसे स्कूल ने इसलिए सर्टिफिकेट नहीं दिया क्योंकि स्कूल वालों को लगता था कि यह बच्चे स्कूल का नाम खराब कर देगा. यह कहानी है नितिन शाक्य की जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर upsc जैसे बड़ी परीक्षा को पास कर दिखाया.
पहले नितिन डॉक्टर बने. डॉक्टर बनने के बाद वह कुछ अलग करना चाहते थे इसलिए उन्होंने डॉक्टरी का कर छोड़ दिया और आईएएस का तैयारी करने लगे. कड़ी मेहनत के दम पर वह आईएएस अफसर बन गए.
मेडिकल एंट्रेंस भी किया क्लीयर-
स्कूल में हुई उनकी बेइज्जती के बाद वह लगातार कड़ी मेहनत करने लगे और अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत व मेडिकल एंट्रेंस पास कर गए. मेडिकल क्षेत्र में ही उन्होंने यूजी और पीजी की डिग्री हासिल की.
दो अटेम्प्ट में हुए फेल –
मेडिकल का छेत्र उन्हें चुनौतीपूर्ण लगता था इसलिए उन्होंने यूपीएससी का फील्ड चुन लिया. इस फील्ड में आने पर उन्हें दो बार असफलता का सामना करना पड़ा लेकिन तीसरे बाद वह आईएएस अफसर बन गए.
लापरवाही ने सपने पर लगाया ब्रेक!
जब नितिन यूपीएससी की तैयारी करते थे तब वह पहले ही प्रयास में प्री और मैंस एग्जाम पास कर गया और इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गए. पहली बार में अपनी और मेंस एग्जाम पास करने के कारण उन्हें यूपी से आसान लगने लगी जिसके कारण व लापरवाही बरतने लगे. लापरवाही के कारण वह दूसरे टेस्ट में मैंस एग्जाम पास नहीं कर पाए.
अपनी गलती पर काम करते हुए उन्होंने तीसरे अटेम्प्ट के लिए प्रिपरेशन करने लगे और प्लान बनाकर उस पर काम किया. तीसरी बार की तैयारी का फल मिला और वह IAS अधिकारी बन ही गए.