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गरीब परिवार की बेटी जिसने IAS बनने के लिए किया कई संघर्ष का सामना,शादी के लिए बनाया गया दबाव,जाने स्वेता की कहानी

जिंदगी में सफल होने के लिए अक्सर हमें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. कभी ऐसा होता है कि हम कई मुश्किलों का सामना करते हैं हारते हैं कई बार हारते हैं फिर जीत पाते हैं. लेकिन इस हार जीत के बीच में सफलता उन्हीं को मिलती है जो कभी हार नहीं मानते.

आज हम आपको ऐसे एक लड़की कहानी बताने वाले हैं जिन्होंने जिंदगी में कई सारी तकलीफों का सामना किया लेकिन कभी हार नहीं माना. लगातार संघर्ष करते हुए आखिरकार वह लड़की अपने पापा के अफसर बनने के सपने को साकार कर के दिखाई.

दुनिया की सबसे कठिन एग्जाम जिन्हें लोग पूरा करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं आईएएस यूपीएससी के एग्जाम की. एक बात जो किराने की दुकान पर काम करके अपने बेटी के आईएएस बनने के सपने को देखता है और उसकी बेटी अपने बाप की उम्मीदों पर खरी उतरती है. और अपने मां-बाप के सपनों को पूरा कर अपने मां-बाप का नाम रोशन करती हैं.

स्वेता, जिन्होंने वर्ष 2016 में सिविल सेवा परीक्षा में 19 वी रैंक प्राप्त करके संपूर्ण भारत में संपूर्ण भारत में यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची लगन मेहनत और दृढ़ विश्वास के साथ कोई भी काम में अगर लग जाए तो सफलता

श्वेता अग्रवाल के पिता किराने की दुकान पर काम करते थे. श्वेता पश्चिम बंगाल की रहने वाली है लेकिन वह एक मारवाड़ी परिवार से बिलॉन्ग करती है. श्वेता की परिवार में 28 सदस्य थे. सीता के जन्म के बाद श्वेता के साथ भेदभाव होने लगा क्योंकि श्वेता के दादा एक पोता चाहते थे. लेकिन श्वेता की मां बाप ने उनके साथ कभी भेदभाव नहीं किया और श्वेता ने भी अपने मां-बाप का नाम रोशन करके यह सिद्ध किया कि मां-बाप के देखे हुए सपने को बेटा या बेटी कोई भी पूरा कर सकता है.

श्वेता के घर में पैसों की दिक्कत थी. ज़ब स्वेता के पापा दुकान से पैसे कमा कर लाते हैं तो उनकी मां एक-एक पैसा जोड़ती ताकि उनकी बेटी की पढ़ाई हो सके. श्वेता भी हर साल हर क्लास में अव्वल आती गई.

शादी के लिए श्वेता जी पर बनाया गया दबाव:- जब श्वेता ने अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली तब उसपर शादी का दबाव बढ़ने लगा लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि मुझे आईएएस बन के रहना है. उनके घर में उनसे छोटे भाई बहनों की शादी हो गई तब उनके दादा ने उनसे शादी के लिए उनके माता-पिता पर दबाव बनाने लगे लेकिन उनके माता पिता ने अपनी बेटी का साथ हर हाल में दिया.

आईएएस बनने तक की कहानी:
श्वेता ने UPSC परीक्षा की तैयारी करके 2013 में पहली बार UPSC की परीक्षा दी, जिसमें उन्होंने अंतिम लिस्ट में भी जगह बनाई, पर उनकी 497वीं रैंक आईं थी, जिसके कारण उन्हें उनकी पसंद की IAS सर्विस नहीं मिली, बल्कि इंडियन रेवेन्यू सर्विस मिली। इस कारन से उन्होंने फैसला किया कि वे फिर से परीक्षा देंगी।

फिर साल 2015 में उन्होंने फिर से एग्जाम दिया और इस बार उनकी 141वीं रैंक आई, परन्तु इस बार भी श्वेता को आईएएस सेवा की बजाय आईपीएस सर्विस मिली। फिर वे साल 2016 में एक बार फिर से परीक्षा में बैठी और आखिरकार उन्हें 19वीं रैंक के साथ उनकी मनपसंद आईएएस सर्विस मिल गयी ।

श्वेता की कहानी में यह सिखाती है कि अगर इंसान ठान ले तो वह हर हाल में सफल जरूर होता है. सफल होने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ था कड़ी मेहनत की जरूरत पड़ती है, यह कहानी हमें यही सीख देती है.

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