देश के लिए मर मिटने का जूनून हर भारतीय मे होता है. भारत का हर नागरिक अपने देश की सेवा मे जाना चाहता है.अब देश की बेटियां इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही है । ऐसी ही कहानी है दीक्षा की. जिसने देश सेवा के जज्बे के यह मुकाम हासिल किया है। इसीलिए चेन्नई में साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ी। रविवार को ये बातें मसूरी की इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस एकेडमी (आइटीबीपी) में पासिंग आउट परेड पास करके पहली बार महिला अधिकारी बनने का गौरव हासिल करने वाली इटावा की बेटी सहायक सेनानी दीक्षा ने कहीं।
दीक्षा ने बताया कि वह शुरू से ही फील्ड जॉब करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने आइटीबीपी को चुना। उनके पिता ने उन्हें यह प्रेरणा दी। वह आइटीबीपी पिथौरागढ़ उत्तराखंड में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। दीक्षा ने संघ लोक सेवा आयोग की सेंट्रल आर्म्ड पुलिसबल की परीक्षा वर्ष 2018 में दी थी। 2019 में परीक्षा परिणाम आने के बाद जुलाई 2020 में मसूरी में ट्रेनिंग शुरू हुई थी। दीक्षा ने अपने देश सेवा के सपने को पूरा करने के लिए अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ दी.
दीक्षा की मां ऊषा रानी हॉउस वाइफ है और छोटा भाई निखिल कुमार बेंगलुरु में साफ्टवेयर इंजीनियर है। दीक्षा की इस सफलता पर उनके माता-पिता बेहद खुश हैं। माता-पिता का इस सफलता में बड़ा योगदान रहा है।
देश सेवा का जूनून ऐसा चढ़ा की इंजीनियरिंग की जॉब छोड़ ITBP में अफसर बनी इटावा की बेटी दीक्षा
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