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ग़रीबी में गुजरा दिन,पिता घर-घर फेरी लगाकर बेचते थे कपड़े,बेटे ने IAS बनकर लिख दी इतिहास,जानिए अनिल की कहानी

अक्सर बच्चों को मिलने वाली सफलता से माता-पिता का गर्व से सिर ऊंचा हो जाता है. बच्चों की सफलता तब और खास हो जाती है जब वह अपनी गरीबी से लड़ते हुए आगे बढ़ते हैं. हर साल के बच्चे यूपीएससी के एग्जाम देते हैं और उनमें कई ऐसे भी बच्चे होते हैं जो अपने गरीबी को अपनी ताकत बनाते हैं कमजोरी नहीं और अपने यूपीएससी के सपने को पूरा करते है.

आज हम आपको बताने वाले हैं बिहार के एक ऐसे लड़के की कहानी जिसने अपनी गरीबी को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनाएं और यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा को पास कर दिखाया. आज बताने वाले हैं बिहार के अनिल बसाक की कहानी.

बता दें कि अनिल को यहां पहुंचाने में सिर्फ अनिल ही नहीं बल्कि उनके पूरे परिवार ने कड़ी मेहनत किया है. अनिल का आईएएस बनने का सफर काफी मुश्किलों से भरा रहा है.

संवार दिया पूरे परिवार का भविष्य- अनिल की परिवारिक स्थिति काफी ज्यादा खराब थी. उनके पिता फेरी लगाकर कपड़े बेचा करते थे. लेकिन उन्होंने कभी अपने गरीबी को अपनी कमजोरी नहीं बनाई बल्कि अपनी ताकत बनाई और अपने सपने को पूरा करने के लिए पूरी कोशिश की और इस बार उन्होंने तीसरे प्रयास में IAS जैसे उसके लिए एग्जाम पास कर लिया.

गांव से पहुंचे आईआईटी दिल्ली-अनिल अपने चार भाई-बहनों में दो नंबर पर है . उनके पापा घर घर फेरी लगाकर कपड़े भेजते थे ऐसे में जो भी पैसे आते थे वह घर चलाने में खर्च हो जाते थे. अनिल ने ठान लिया था कि वह अपने दम पर कुछ करके दिखाएंगे. 2014 में आईआईटी (IIT) दिल्ली में दाखिला पाया और सिविल इंजीनियिरंग की पढ़ाई की।

दूसरे प्रयास में आई 616वीं रैंक-साल 2016 से अनिल, यूपीएससी की तैयारी करने लगे। यहां तक 2018 में इंजीनियरिंग करने के बाद उनके पास नौकरी का विकल्प था, पर उन्होंने यूपीएससी को ही अपना भविष्य बना लिया। हालांकि, पहले अटेम्प्ट उन्हें कामयाबी नहीं मिली। निराशा ने घेर लिया। अनिल फिर खड़े हुए और जी-जान से पढ़ाई की। दूसरे प्रयास में उन्हें 616वीं रैंक मिली। परिवार और गांव में जश्न मना लेकिन अनिल संतुष्ट नहीं थे क्योंकि सपना IAS बनना था।

अनिल फिर से मेहनत करना शुरू कर दिया और तीसरे प्रयास में उन्हें 45 वां रैंक मिला और वह आईएस बन गया और अपने सपने को पूरा कर लिया. अनिल की कहानी हमें यह बताती है कि अगर इंसान कुछ करना चाहे तो कोई भी उसे रोक नहीं सकता.

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