उत्तर प्रदेश में गुरुवार की भोर से कई जिलों में एकाएक मौसम पलट गया. बिस्तर छोड़ने के बाद भी लोगों को अंदाजा नहीं हो पाया कि सुबह हो गयी है. ऐसा इसलिए क्योंकि घनघोर बादल आसमान में छाये थे. सूरज का तो नामोनिशान नहीं था. लखनऊ (Lucknow) और आसपास के जिलों में तो सुबह-सुबह ही तेज बारिश भी शुरू हो गयी थी. धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता गया और अभी तक 30 जिलों में मौसम के बदलाव की सूचना है. लोगों को लग रहा है कि प्रदेश में मॉनसून (Monsoon) आ गया है. ऐसा समझने के पीछे वजह ये थी है कि अभी तक मई और जून के महीने में जितनी बार बरसात हुई है वो आज की तरह नहीं थी. आज तो बादलों का ऐसा जमावड़ा हो रहा है कि अंधेरा छा जा रहा लेकिन, ये बारिश मॉनसूनी नहीं है.
मौसम विभाग के अनुसार मॉनसून के आने से पहले उसकी सूचना देने वाली जो बारिश होती है, उसकी वजह से आज गुरुवार को 20 से ज्यादा जिलों में बारिश हो रही है. इसे प्री-मॉनसून कहते हैं. ये बारिश लोकल वेदर सिस्टम के कारण होती है. यानी स्थानीय बदलावों के कारण बादल बनते हैं और बारिश होती है. हां, ये जरूर है कि प्री-मॉनसून बारिश के होने पर ये समझ लेना चाहिए कि मॉनसून आने वाला है.इन जिले आज हैं प्रभावित
इस प्री-मॉनसूनी बारिश से प्रदेश के ज्यादातर जिले भीग रहे हैं. मुरादाबाद, बदायूं, कासगंज, रामपुर, एटा, औरैया, सीतापुर, बाराबंकी, अमेठी, रायबरेली, फिरोजोबाद, मैनपुरी, इटावा, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोण्डा, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, जौनपुर, बनारस, भदोही, मिर्जापुर, प्रयागराज, चित्रकूट, कौशाम्बी और प्रतापगढ़ में या तो बारिश हो रही है या होने वाली है.
मॉनसूनी बारिश किसे कहते हैं?
ध्यान देने वाली बात ये है कि यूपी में मॉनसूनी बारिश से जिन जिलों में सबसे पहले बरसात होती है, वहां आज गुरुवार को बारिश नहीं हो रही है. ये वो जिले हैं जिनकी सीमा बिहार से लगी होती है. फिर मॉनसूनी बारिश किसे कहते हैं? इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के हेड रह चुके और जलवायु विज्ञान (क्लाइमेटॉलजी) पर कई किताबें लिख चुके डॉ. सविन्द्र सिंह ने इसे तसल्ली से समझाया. उन्होंने कहा कि यूपी में मॉनसूनी बारिश उसे कहते हैं, जब बंगाल की खाड़ी से चली हवायें प्रदेश की सीमा में पहुंचती हैं. सबसे पहले बंगाल की खाड़ी से उठे मॉनसून की वजह से यूपी में बारिश होती है. बंगाल की तरफ से आने के कारण इसका सबसे पहला असर पूर्वी यूपी के जिलों में देखने को मिलता है. आम तौर पर ये 17 या 18 जून के आसपास पहुंचता है. पूर्वांचल से होते हुए पूरे प्रदेश में इसके चलते बारिश होती है.
सूबे में मॉनसूनी बारिश अरब सागर से चली मॉनसूनी हवाओं की वजह से भी होती है लेकिन देरी से. इसका असर सिर्फ पश्चिमी यूपी में दिखाई देता है. ये केरल से होते हुए महाराष्ट्र और राजस्थान के रास्ते पश्चिमी यूपी में दाखिल होती हैं. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि दोनों सिस्टम पश्चिमी यूपी में मिल जाते हैं. इसकी वजह से इस इलाके में भारी से बहुत भारी बारिश हो जाया करती है. तो आज गुरुवार को हो रही बारिश को मॉनसूनी बारिश न समझे
तो फिर कब आ रहा है मॉनसून
मौसम विभाग के अनुसार इस बार प्रदेश में एक हफ्ता पहले ही मॉनसून आ रहा है. वैसे तो इसका टाइम 17 या 18 जून के आसपास होता है लेकिन. 11 या 12 जून को पूर्वी यूपी के रास्ते मानसून प्रवेश कर जायेगा