शहर में इलेक्ट्रिक बसें (Electric Bus) चलाने की अड़चन दूर हो गई है. इसके लिए 14वें और 15वें वित्त आयोग के पैसे से मेंटीनेंस डिपो (Maintenance Depot) बनाए जाएंगे. लखनऊ मुख्यालय में उच्चाधिकारियों की बैठक में इस पर सहमति बन गई है. जल्द ही इस पर फैसला ले लिया जाएगा. उत्तर प्रदेश के 14 शहरों में 700 वातानुकूलित इलेक्ट्रिक बसें चलाई जानी हैं. हालांकि, कुछ नए शहरों में बसों का संचालन शुरू भी हो गया है, लेकिन मेंटीनेंस डिपो न बनने से बसों की सफाई और मरम्मत में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं. इसके मद्देनजर सरकार ने अब डिपो बनाने के लिए बजट की समस्या को दूर कर दिया है.
गाजियाबाद शहर में 50 इलेक्ट्रिक बसें दौड़ाने की प्लानिंग है. इसके लिए नगर निगम (Ghaziabad Municipal Corporation) ने बीते साल ही बसों के डिपो के लिए जमीन चिह्नित कर ली थी और कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस को सौंप दी थी. करीब 14 करोड़ की लागत से विजयनगर क्षेत्र के अकबरपुर-बहरामपुर में इलेक्ट्रिक बसों का मेंटीनेंस डिपो और चार्जिंग स्टेशन बनाए जाने हैं. नगर आयुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी बसों के 12 रूटों को तय कर चुकी है. मेंटीनेंस डिपो के लिए फंड स्पष्ट होने से जल्द इन डिपो का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.सरकार की यह है योजना
इलेक्ट्रिक बसें प्रदेश के 14 शहरों में (6 स्मार्ट शहर और 8 अन्य शहरों में) चलाने का फैसला किया गया है. इनमें स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चयनित 10 शहरों में से 6 शहर लखनऊ, वाराणसी, मुरादाबाद, कानपुर, बरेली और झांसी को शामिल किया गया है. शेष 8 शहरों में अयोध्या, सीतापुर, अलीगढ़, शाहजहांपुर, मथुरा-वृंदावन, गाजियाबाद, गोरखपुर और मेरठ हैं. इन सभी शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के साथ ही बसों के लिए मेंटीनेंस डिपो बनाने का फैसला किया गया है.