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गोरखपुर में सैनिटाइजर की डिमांड कम होने के बाद गीडा में सैनिटाइजर का उत्पादन एकदम बंद हो गया। दो फैक्टरियों ने तो सैनिटाइजर उत्पादन का लाइसेंस ही सरेंडर कर दिया है। जबकि, लाइसेंस होने के बावजूद मोदी केमिकल्स, सैनिटाइजर का उत्पादन फिलहाल नहीं कर रही है। मोदी केमिकल्स का कहना है कि मांग बढ़ती है तो सैनिटाइजर का उत्पादन फिर शुरू कर दिया जाएगा।
पिछले वर्ष जब कोरोना वायरस संक्रमण का मामला आया था तो गीडा की फैक्टरी इंडिया ग्लाइकोल्स लिमिटेड (आईजीएल), वर्नेट फार्मास्यूटिकल्स, मोदी केमिकल्स ने लाइसेंस लेकर सैनिटाइजर बनाने का काम शुरू किया था। आईजीएल की ओर से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और अन्य चीजों की सहायतार्थ एक करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का सहयोग शासन प्रशासन को किया गया था।
इस दौरान काफी बड़ी मात्रा में लोगों की मदद के लिए सैनिटाइजर का वितरण किया गया था। इसके अलावा दवा बनाने वाली फैक्टरी वर्नेट फार्मास्यूटिकल और ऑक्सीजन गैस तैयार करने वाली कंपनी मोदी केमिकल्स ने तब की जरूरत को देखते हुए, सैनिटाइजर का निर्माण किया था।
डिमांड बढ़ने के साथ ही शुरू कर दिया जाएगा सैनिटाइजर का निर्माण
वर्नेट फार्मास्यूटिकल एमडी विभूति मिश्रा ने बताया कि मैंने सैनिटाइजर बनाने संबंधी लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। सैनिटाइजर की बिक्री काफी घट गई थी, इसके अलावा विभिन्न विभागों का रवैया अपेक्षानुरूप नहीं था। इसलिए मैंने सैनिटाइजर नहीं बनाने का निर्णय लिया और लाइसेंस सरेंडर कर दिया।
आईजीएल के प्रबंधक आत्मानंद सिंह ने बताया कि पिछले साल ही कंपनी की ओर से सैनिटाइजर बनाने संबंधी लाइसेंस सरेंडर कर दिया गया था। डीएम के पास इसके लिए आवेदन दिया जा चुका है। फिलहाल कंपनी सैनिटाइजर नहीं बना रही है।
मोदी केमिकल्स के निदेशक प्रवीण मोदी ने कहा कि अगर कोरोना संक्रमण का मामला ज्यादा बढ़ता है और सैनिटाइजर की डिमांड बढ़ती है तो तत्काल इसका निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा ऑक्सीजन गैस सिलिंडर की आपूर्ति सुचारु रूप से हो सकेगी, क्योंकि इस बार कंपनी की क्षमता करीब करीब दोगुनी हो गई है।
डिमांड बढ़ने के साथ ही शुरू कर दिया जाएगा सैनिटाइजर का निर्माण