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गोरखपुर के रामगढ़ताल के आसपास घर-दुकान बनवाने की तैयारी करने वालों के लिए राहत भरी खबर है। ताल के 500 मीटर के दायरे में करीब डेढ़ साल से मानचित्र स्वीकृत करने पर लगा प्रतिबंध खत्म कर दिया गया है। बुधवार को गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की बोर्ड बैठक में इस पर मुहर लग गई। हालांकि इस क्षेत्र में हाई रिस्क (व्यावसायिक एवं बड़े ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट) के लिए मानचित्र स्वीकृत कराना अब मंहगा हो सकता है। ऐसे मानचित्र पर प्राधिकरण अतिरिक्त शुल्क लेने की तैयारी कर रहा है।
बोर्ड बैठक में तय हुआ कि रामगढ़ताल क्षेत्र में मानचित्र पास करते समय पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखा जाएगा। पर्यावरण के साथ ही ताल के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए मानचित्रों पर अधिभार लगाया जा सकता है। इसके लिए एक कमेटी बनायी जाएगी जो 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी।
कमेटी बताएगी कि किस मानचित्र पर कितना अधिभार लिया जाए और किस तरह के निर्माण पर लागू किया जाए। कुछ प्राधिकरणों में इस तरह की व्यवस्था है। इस अधिभार से होने वाली आय का उपयोग ताल के संरक्षण व संवर्धन पर किया जाएगा। वाणिज्यिक भवन के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मानकों का पालन अनिवार्य होगा। लो रिस्क क्षेत्र में यह अधिभार लागू नहीं होगा। मानचित्र पास होने का रास्ता खुलने से हजारों लोगों को राहत मिल सकेगी।
एनजीटी ने लगाई थी ताल के किनारे निर्माण पर रोक
नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) की तरफ से गठित हाईपावर कमेटी ने रामगढ़ताल के 500 मीटर क्षेत्र में नए निर्माण पर रोक के साथ ही पुराने निर्माण ध्वस्त कराने की एनजीटी से संस्तुति की थी। इसके बाद से जीडीए ने इस क्षेत्र में मानचित्र स्वीकृत करने पर रोक लगा दी थी। इस सिफारिश के खिलाफ जीडीए ने एनजीटी में अपील भी की थी।
इसी बीच शासन ने दिसंबर 2020 में रामगढ़ताल के वेटलैंड का दायरा निर्धारित करते हुए नोटिफिकेशन जारी कर दिया। गाटावार वेटलैंड भूमि का निर्धारण करने के साथ ही ज्यादातर जगहों पर 50 मीटर तक के ही क्षेत्र वेटलैंड के दायरे में आ रहे हैं। इसके बाहर के क्षेत्रों में इस तरह की कोई रोक नहीं है।
वेटलैंड नोटिफिकेशन के बाद एनजीटी से भी राहत मिल जाने के बाद मामले को जीडीए बोर्ड की बैठक में रखा गया। तय हुआ कि इस क्षेत्र से आने वाले मानचित्र के आवेदनों की गहनता से जांच की जाएगी। यदि पर्यावरण के मानक पर वे खरे होंगे तो ही पास किया जाएगा।
महायोजना 2031 में नहीं कम होगा ग्रीन बेल्ट क्षेत्र
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए जीडीए बोर्ड बैठक में एक और महत्वपूर्ण फैसला हुआ। तय हुआ कि नई महायोजना 2031 में भी ग्रीन बेल्ट का क्षेत्रफल घटाया नहीं जाएगा। महायोजना 2021 में जितना ग्रीन बेल्ट का क्षेत्रफल है, नई महायोजना में उससे क्षेत्रफल कम नहीं होगा। यानी क्षेत्रीय पार्कों की संख्या में भी कमी नहीं होगी।
वर्ष 2021-22 के लिए 371 करोड़ का बजट पास
बोर्ड बैठक में वर्ष 2021-22 के लिए 372 करोड़ रुपये आय के सापेक्ष 371 करोड़ रुपये के व्यय का बजट पास किया गया। बैठक के दौरान बोर्ड को बताया गया कि कोरोना काल के बावजूद जीडीए की आय में पिछले साल की तुलना में वृद्धि हुई है। बैठक में एकीकृत मंडलीय कार्यालय के लिए कंसलटेंट हायर करने को भी मंजूरी मिल गई है। यह मंडलीय कार्यालय, श्रम कार्यालय परिसर में बनेगा। मंडल स्तर के सभी अफसरों के कार्यालय एक ही जगह पर होंगे।
सिटी डेवलपमेंट प्लान के लिए आरएफपी को सशर्त मंजूरी
अयोध्या की तर्ज पर गोरखपुर शहर के भी सुनियोजित विकास का प्लान तैयार करने के संबंध में भी बोर्ड बैठक में चर्चा हुई। जीडीए की ओर से सिटी डेवलपमेंट प्लान बनाने के लिए कंसलटेंसी फर्म हायर करने को रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) तैयार किया गया है। बोर्ड ने आरएफपी को सशर्त मंजूरी दी है।
दरअसल, बुधवार की सुबह हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव आवास ने अभी आरएफपी न जारी करने को कहा है। शासन दो दिन में तय करेगा कि आरएफपी प्रदेश के 10 शहरों के लिए शासन स्तर पर जारी होगा या संबंधित प्राधिकरण अपने स्तर पर जारी करेंगे। लेकिन सभी प्राधिकरणों को आरएफपी तैयार रखने को कहा गया है।
बोर्ड ने शासन के निर्देश के अधीन स्थानीय स्तर पर तैयार आरएफपी को मंजूरी दी है। सिटी डेवलपमेंट प्लान में पर्यटन के स्थलों के विकास, रोड नेटवर्क, ऐतिहासिक स्थलों के विकास, स्मार्ट सिटी, ग्रीन सिटी, शहर का विस्तार, सीवरेज आदि के बारे में प्लान बनाया जाएगा।
मानबेला किसान : बढ़े हुए मआवजे का होगा आकलन
बोर्ड बैठक में मानबेला किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा दिए जाने के बारे में भी काफी देर तक चर्चा होती रही। इस पर विचार किया गया कि बढ़ी हुई दर से किसानों को मुआवजा देने पर जीडीए के ऊपर कितना भार बढ़ेगा। धनराशि का जल्द आकलन करने का निर्देश दिया गया।
जिला जज की अदालत ने बढ़ा हुआ मुआवजा देने का आदेश दिया है। बोर्ड में फैसला लिया गया कि पहले कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में मुआवजा देने पर आने वाले वित्तीय भार का आकलन किया जाएगा। उसी आधार पर फैसला लिया जाएगा कि मुआवजा दिया जाए या आगे अपील हो।
पीएम आवास : शासन से फंड मिलने तक जारी रहेगा काम
मानबेला में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत बन रहे आवासों के बारे में भी बोर्ड बैठक में चर्चा हुई। शासन से जीडीए को दूसरी किस्त पाने के लिए डूडा की ओर से एमआइएस पोर्टल पर फीडिंग पूरी करनी होगी। डीएम ने आश्वस्त किया कि डूडा जल्द फीडिंग का काम कर देगा। इस पर तय हुआ कि शासन से किस्त आने तक जीडीए अपने संसाधन से आवास निर्माण का कार्य जारी रखेगा।
बोर्ड बैठक में पर्यावरण का ध्यान रखते हुए रामगढ़ताल के 500 मीटर दायरे में मानचित्र स्वीकृत करने पर चर्चा होने के साथ ही एक कमेटी गठित की गई है। सिटी डेवलपमेंट प्लान के लिए आरएफपी मंजूर किया गया है, जिसे शासन के निर्देश के बाद जारी किया जाएगा। मानबेला के किसानों को मुआवजा देने और पीएम आवास के मामले में भी चर्चा की गई।
– आशीष कुमार, उपाध्यक्ष, जीडीए
एनजीटी ने लगाई थी ताल के किनारे निर्माण पर रोक