लखनऊ। मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना के पूर्व उप प्रमुख अजीत सिंह की हत्या के आरोपी शूटर शिवेंद्र सिंह उर्फ अंकुर ने बुधवार को पूछताछ में कई राज उगले। शिवेंद्र ने बताया कि उसे शूटरों के ठहरने से लेकर उनके खाने-पीने तक का इंतजाम करना होता था। इसके लिए जो भी धन की जरूरत पड़ती थी, उसे पूर्व सांसद धनंजय सिंह के इशारे पर आजमगढ़ जेल में बंद अखंड सिंह कराता था। उसने बताया कि राजधानी में दो स्थानों पर शूटरों के रुकने का इंतजाम किया गया था।
प्रभारी निरीक्षक विभूतिखंड चंद्रशेखर सिंह के मुताबिक, अजीत सिंह की हत्या के लिए करीब एक साल पहले से तैयारी की जा रही थी। इसके लिए अजीत पर निगरानी केे लिए राजधानी दो फ्लैट लिए गए थे। अजीत की 6 जनवरी की रात को कठौता चौराहे पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में शिवेंद्र सिंह उर्फ अंकुर ने भी उस पर गोलियां बरसाई थीं। पुलिस को चकमा देकर उसने लखनऊ कोर्ट में समर्पण कर दिया था। सोमवार को विभूतिखंड पुलिस ने शिवेंद्र की कस्टडी रिमांड की अर्जी डाली थी। मंगलवार को कोर्ट ने आदेश दिया कि दिन के उजाले में उससे पुलिस पूछताछ करेगी। इसके लिए समय सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक समय भी निर्धारित किया गया था। बुधवार सुबह 9 बजे पुलिस ने शिवेंद्र को जिला जेल से अपनी कस्टडी में लिया। इसके बाद थाने लाकर शाम पांच बजे तक पूछताछ की। इसके बाद उसे जेल में भेज दिया गया। बृहस्पतिवार को भी उससे पूछताछ की जाएगी।
प्रदीप कबूतरा का सगा साढू है शिवेंद्र
पुलिस के मुताबिक, शिवेंद्र सिंह उर्फ अंकुर गोमतीनगर विस्तार स्थित शारदा अपार्टमेंट में रहने वाले शातिर अपराधी प्रदीप कबूतरा का सगा साढू है। शिवेंद्र, आजमगढ़ जेल में बंद रहे अखंड सिंह का करीबी है। अखंड के इशारे पर शिवेंद्र ने कई वारदात को अंजाम दिया। अजीत की हत्या की साजिश रचने के बाद शिवेंद्र के जरिए अखंड ने ही लखनऊ में फ्लैट बुक कराए थे। एक फ्लैट शारदा अपार्टमेंट में किराए पर लिया गया था, दूसरा अलकनंदा में। शारदा अपार्टमेंट में वारदात से जुड़े ज्यादातर शूटरों ने शरण ली थी। वहीं अलकनंदा में डॉक्टर उर्फ गिरधारी उर्फ कन्हैया जैसे शूटर रहते थे। वहीं हत्या की पूरी स्क्रिप्ट लिखी गई। वारदात को अंजाम देने के बाद शूटरों ने सभी असलहे एक साथ शिवेंद्र को सुपुर्द कर दिए। शिवेंद्र ने इन असलहों को आजमगढ़ के शूटर रवि यादव के भाई संजय यादव के सुपुर्द कर दिया। उसने असलहों को छिपाने का काम किया था।
वारदात के बाद मुंबई में ली थी शरण
पुलिस के मुताबिक, वारदात को अंजाम देने के बाद शिवेंद्र सिंह उर्फ अंकुर ने मुंबई में शरण ली थी। वारदात के बाद जिस डस्टर गाड़ी से शूटर फरार हुए थे, वह भी मुंबई के एक कारोबारी की थी। कारोबारी ठाकुर प्रसाद ने शिवेंद्र को मुंबई में शरण दी थी। पुलिस इस कारोबारी के बारे में जानकारी हासिल कर रही है। उससे भी पूछताछ की जाएगी। मुंबई से कुछ दिन पहले वह वापस अपने गांव आजमगढ़ गया था। वहां से फिर वकील से संपर्क कर लखनऊ की सीजेएम कोर्ट में 5 मार्च को समर्पण कर दिया।
शिवेंद्र के जरिए उपलब्ध होता था धन
पुलिस के मुताबिक, पूछताछ मेें शिवेंद्र के जरिए वारदात से जुड़े सभी शूटरों व अन्य मददगारों की जरूरत पूरी होती थी। इसके लिए पूर्व सांसद धनंजय सिंह अखंड सिंह को इशारा करता था। फिर अखंड जेल से ही शिवेंद्र को धन उपलब्ध कराता था। फ्लैट किराए पर लेने केलिए अखंड ने सबसे पहले 50 हजार रुपये भेजे थे। इसके बाद हर सप्ताह 25 से 30 हजार रुपये भेजे जाते थे। यह रकम अखंड द्वारा बताए गए लोगों से वसूलकर शूटरों को देता था। यह रकम पूरे एक साल तक उपलब्ध कराई जाती रही।