बाबू से लेकर सचिव तक जाती है फाइल, फिर भी फर्जीवाड़ा
एलडीए में भूखंड समायोजन की फाइल बाबू से लेकर संपत्ति अधिकारी और सचिव तक के सामने से गुजरती है। इसके बावजूद फर्जीवाड़ा हो रहा है।
इसका मतलब है कि इस खेल में अधिकारी भी खिलाड़ी हैं। इसके चलते ही भूखंड समायोजन में हेराफेरी का खेल केवल कंप्यूटर रिकॉर्ड बदलने तक सीमित नहीं है।
बल्कि भूखंड या मकानों की रजिस्ट्री कर कब्जा भी फर्जी आवंटियों को दे दिया गया। अब सवाल उठता है कि रजिस्ट्री के लिए सचिव या वीसी स्तर से अनुमति लेने के समय फर्जीवाड़ा क्यों नहीं पकड़ा गया।
मालूम हो कि पिछले दिनों वास्तुखंड, गोमतीनगर में फर्जी भूखंड समायोजन के प्रकरण की जांच में ऐसे प्रकरण सामने आए। इनमें कई भूखंडों पर मकान बने मिले।
कई मकानों पर फर्जी आवंटियों का कब्जा मिला। कुछ में ताले डालकर आवंटी दिखाया गया व्यक्ति गायब था। इसकी रिपोर्ट वीसी तक को भेजी गई है।
इसी तरह रश्मिखंड, शारदानगर योजना में भी चार फर्जी आवंटियों में से एक की रजिस्ट्री कर दी गई। मकान बनाने के लिए बाउंड्री बनाना शुरू करने पर यह फर्जीवाड़ा खुला।
रजिस्ट्री की जांच में तत्कालीन सचिव तक की अनुमति फाइल में मिली। प्रियदर्शिनी योजना, जानकीपुरम योजना में ऐसे कई प्रकरण में जांच एलडीए में चल रही है।
अगर शुरू हुई साइबर जांच ठीक से हो जाए तो कई बड़े अधिकारी भी समायोजन घोटाले में लिप्त नजर आएंगे।
जांच को पहुंचे एसीपी
कंप्यूटर डाटा में बदलाव के 50 प्रकरण की जांच के लिए बृहस्पतिवार को भी एसीपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय एलडीए पहुंचे। संयुक्त सचिव ऋतु सुहास से पूरे प्रकरण में उन्होंने चर्चा की। संयुक्त सचिव ही इस जांच समिति की अध्यक्ष हैं। वहीं, कंप्यूटर सेक्शन के प्रभारी एसबी भटनागर छुट्टी पर चले गए हैं। इससे जांच आगे नहीं बढ़ पाई। संभावना है कि शुक्रवार को एसीपी फिर से एलडीए पूछताछ के लिए जाएंगे।