मलिहाबाद, लखनऊ। विकास खंड मलिहाबाद के लिए तैयार आरक्षण सूची प्रधान प्रत्याशियों के गले नहीं उतर रही है। ऐसा इसलिए कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी ने कहा था कि पिछले 20 वर्षों से जातिगत आरक्षण से वंचित पंचायतों को प्राथमिकता पर आरक्षित किया जाए। इसके बाद भी विकास खंड की एक दर्जन ग्राम पंचायतें जातिगत आरक्षण से वंचित रह गईं। विकास खंड की 67 ग्राम पंचायतों में से 34 पंचायतें एससी/ओबीसी/महिला के लिए आरक्षित होनी थीं और इतनी ही पंचायतें ऐसी हैं जो पिछले 20 वर्षों से जातिगत आरक्षण से दूर हैं।
अनंतिम आरक्षण सूची में ब्लॉक की जातिगत आरक्षण से वंचित 34 पंचायतों में से 22 ही आरक्षित हो सकीं हैं। शेष 12 पंचायतें इस लाभ से वंचित रह गईं। ऐसा इसलिए हुआ कि वर्ष 2015 में हुए परिसीमन की वजह से विकास खंड में नौ पंचायतें बढ़ गई थीं, जिनमें आरक्षित कोटा समायोजित कर दिया गया। इन पंचायतों को यदि सामान्य की श्रेणी में रखते हुए 1995 से 2015 तक जातिगत आरक्षण से वंचित पंचायतों को आरक्षण का लाभ मिल जाता तो आज पूरे ब्लॉक की सभी पंचायतें जातिगत आरक्षण से पूर्ण होतीं।
ब्लॉक प्रमुख सहित 10 पंचायतों पर आपत्ति दर्ज
विकास खंड में ब्लॉक प्रमुख सीट से लेकर 10 पंचायतों से प्रत्याशियों ने आरक्षण पर आपत्ति दर्ज कराई है। ब्लॉक प्रमुख की तैयारी में जुटे निर्मल कुमार ने अपनी आपत्ति में कहा कि आरक्षण के लिए सभी वर्गों की आबादी को गलत ढंग से दर्शाया गया है। सामान्य सीट एक बार फिर सामान्य महिला को दे दी गई। जबकि विकास खंड में अनुसूचित जाति का बाहुल्य है। इसी तरह से ग्राम पंचायत गढ़ी जिंदौर के कुंवर आसिफ अली के साथ ग्राम पंचायत गोसवा, मनकौटी, मोहम्मद नगर तालुकेदारी, रसूलपुर, अल्लूपुर, तरौना तथा घोला दुलार मऊ के प्रत्याशियों ने आपत्ति दर्ज कराई है। इस संबंध में सहायक विकास अधिकारी देवेंद्र सिंह ने कहा कि आरक्षण की प्रक्रिया शासन की गाइडलाइन के आधार पर पूरी की गई है।