हाथरस कांड के बाद यूपी में माहौल बिगाड़ने की साजिश में भीम आर्मी का नाम भी सामने आ रहा है। इसको लेकर ईडी ने जांच शुरू कर दी है। फाइल फोटो
विदेशों से फंडिंग मिलने की बात भी सामने आई है, कितना रुपया आया है इसकी पुष्टि नहीं पाईआरोपियों के मोबाइल-लैपटॉप को खंगाला गया तो उसमें कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर आया ‘भीम आर्मी टॉप 100′ नाम का एक व्हाट्स एप ग्रुप हाथरस कांड में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। जांच में भीम आर्मी पर ‘टॉप 100′ की फंडिंग से लेकर दंगा भड़काने की साजिश में संदिग्ध भूमिका पाई गई है। ईडी की प्रारंभिक जांच में कई अहम चीज ‘टॉप 100′ के बारे में मिली है। जिसकी जांच चल रही है। ईड़ी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबंधित मामले की भी तफ्तीश कर रही है‚जो इसी मसले पर काफी अहम मुद्दा है।
यूपी के हाथरस घटना के वक्त चार आरोपियों को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार किया। उसके बाद जब उन आरोपियों के मोबाइल-लैपटॉप को खंगाला गया तो उसमें कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है। सूत्रों के अनुसार‚ जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है–भीम आर्मी टॉप 100 नाम का एक व्हाट्स एप ग्रुप। जिसमें पीएफआई से जुड़े लोगों सहित कई संदिग्ध लोग शामिल थे। उसी ग्रुप में शामिल लोगों द्वारा इन चारों में से तीन गिरफ्तार लोगों को निर्देश दिया जा रहा था। इसके साथ ही ये भी निर्देश दिया गया था कि वह लोग हाथरस जाकर वहां मुस्लिम–दलित समुदाय के लोगों को यूपी सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध–प्रदर्शन करने के लिए आधार तैयार करें।
चार लोग हुए थे मथुरा से गिरफ्तार8 अक्टूबर को मथुरा जिले में पुलिस ने चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया था। इनके नाम अतीक उर रहमान पुत्र रौनक अली निवासी नगला थाना रतनपुरी जिला मुजफ्फरनगर। सिद्दीकी पुत्र मोहम्मद च निवासी बेगारा थाना मल्लपुरम‚ केरल। मसूद अहमद निवासी कस्बा और थाना जरवल जिला बहराइच और आलम पुत्र लईक पहलवान निवासी घेर फतेह खान थाना कोतवाली‚ यूपी है।
जातीय हिंसा भड़काने की साजिश का हुआ था खुलासा
इनसे में जातीय हिंसा भड़काने की साजिश का खुलासा हुआ था। इसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम भी सामने आया था। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है। इसका हेड ऑफिस दिल्ली के शाहीन बाग में है। यह संगठन नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली में हुए दंगों में भी शामिल था। ईडी ने मनी लॉड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू किया था। हाथरस की घटना के बाद रातों–रात बनाई गई वेबसाइट ‘जस्टिस फॉर हाथरस‘ के खिलाफ ईडी ने मनी लॉड्रिंग का केस दर्ज कर किया। शुरु आती जांच में पता चला था कि हिंसक प्रदर्शन के लिए एक संदिग्ध संगठन से वेबसाइट को फंडिंग मिली थी।
Input – Bhaskar.com