लखनऊ। राजधानी में सोमवार को कोरोना के 35 नए केस सामने आए। अगर दो दिनों को छोड़ दिया जाए तो 5 मार्च के बाद से संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ ही रही है। यह तब है जब राजधानी में पहले हो रहीं दस हजार जांचों के मुकाबले आंकड़ा पांच हजार के आसपास ही चल रहा है। इसकी वजह सिर्फ लापरवाही है और यह हर स्तर पर बरती गई। स्वास्थ्य विभाग का जांच का दायरा न बढ़ाना। अन्य राज्यों में संक्रमण के तेजी से बढ़ने के बावजूद फ्लाइट, ट्रेन और बस से आने वालों में से बमुश्किल दस फीसदी की जांच होना। प्रशासन के हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क भूल जाने वाली आम जनता कोरोना के बढ़ते इस नए खतरे के लिए जिम्मेदार है। इसके पहले 28 जनवरी को राजधानी में 38 मरीज मिले थे।
सोमवार को डिस्चार्ज भी केवल छह मरीज ही हुए। इसके साथ एक्टिव केस 264 पर पहुंच गए। सीएमओ प्रवक्ता योगेश ने बताया कि 4982 लोगों के नमूने लिए गए थे। रायबरेली रोड पर तीन, इंदिरानगर में आठ, गोमतीनगर में पांच, सआदतगंज में दो, सुशांत गोल्फ सिटी में तीन, अलीगंज में दो के अलावा आशियाना समेत अन्य जगहों पर मरीज मिले। सात अस्पताल में भर्ती किए गए, बाकी होम आइसोलेशन में गए। इस महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो सैंपल घटने पर भी मरीज बढ़ना संक्रमण दर में बढ़ोतरी का संकेत है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हालात में बचाव के हर उपाय करना चाहिए।
हर स्तर पर लापरवाही… कैसे संक्रमण होगा काबू
आमजन : न मास्क पहन रहे, न सैनिटाइजेशन की पहले जैसे फिक्र
बाजार, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, मॉल या फिर कहीं चले जाइए, ज्यादातर बगैर मास्क के दिखते हैं। जो लगाए भी होते हैं वे भी मास्क ठुड्डी पर लटकाए होते हैं। दस फीसदी ही मास्क लगा रहे हैं। सैनिटाइजेशन को लेकर भी लापरवाही दिख रही है।
रेलवे स्टेशनों पर ये हाल : यात्रियों की न तो थर्मल स्क्रीनिंग, न ही सोशल डिस्टेंसिंग
चारबाग स्टेशन, लखनऊ जंक्शन पर मुंबई से पुष्पक एक्सप्रेस, अवध एक्सप्रेस, गोरखपुर एलटीटी तथा पंजाब से चंडीगढ़ एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों की आवाजाही है। इनसे सात से आठ हजार यात्री रोजाना आ रहे हैं। पर न तो इनकी थर्मल स्क्रीनिंग हो रही है, न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाया जा रहा है। वैसे डीआरएम संजय त्रिपाठी कहते हैं कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग : संक्रमण वाले राज्यों से आने वालों में से दस फीसदी से भी कम की जांच
महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात और मध्य प्रदेश में संक्रमण बढ़ा है। इन राज्यों से 14 हजार से अधिक यात्री रोजाना आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग इनमें से 700-800 लोगों की जांच का दावा कर रहा है। सीएमओ डॉ. संजय भटनागर का तर्क है कि सभी यात्रियों की जांच संभव नहीं है। संदिग्धों की ही जांच करते हैं।
कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग अब परिवार तक ही सिमटी
पहले एक मरीज मिलने पर उसके संपर्क में आए 25 लोगों को तलाशकर जांच कराई जा रही थी। अब स्वास्थ्य विभाग मरीज के परिवार की ही जांच कर रहा है। यानी संक्रमण आगे कहां तक फैला इसके लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की व्यवस्था खानापूर्ति रह गई है।
कितने यात्री और कितनी जांच
यात्री जांच
ट्रेन से आने वाले – 7000-8000 300-400
एयरपोर्ट – 2000 80-90
बस – 5000-6000 200-300
टोल प्लाजा निजी वाहन – 2000-3000 100-150
(संबंधित विभागों के अनुमानित आंकड़े कोरोना के बढ़ते मामलों वाले सात राज्यों से आने वालों के)
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मार्च के आंकड़े एक नजर में
दिनांक सैंपल मरीज
5 6145 7
6 5142 8
7 4588 9
8 4098 16
9 4385 17
10 4876 21
11 4878 17
12 3549 25
13 4590 27
14 4982 19
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संक्रमण की रफ्तार हुई तेज तो जागे जिम्मेदार
डीएम ने दिए डोर-टू-डोर सर्वे के निर्देश
लखनऊ। कोरोना बढ़ने से रोकने के लिए डीएम अभिषेक प्रकाश ने सख्ती के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सोमवार को अधिकारियों की बैठक में डोर-टू-डोर सर्वे करने को कहा। इस दौरान सर्दी-जुकाम, बुखार, सांस के गंभीर मरीज चिह्नित कर उनकी कोविड जांच करने के भी निर्देश दिए। इसके साथ पुराने कंटेनमेंट जोन में पुलिस की तैनाती के लिए कहा। बैठक में सीडीओ प्रभास कुमार, नगर आयुक्त अजय द्विवेदी, सीएमओ डॉ. संजय भटनागर, अपर जिलाधिकारी पूर्वी केपी सिंह आदि थे।
बैठक में यह भी किया गया तय
– स्टेशन, बस स्टैंड, एयरपोर्ट पर पुलिस बल की तैनाती के साथ आने वालों की सैंपलिंग होगी। उनकी एक हफ्ते की ट्रेवल हिस्ट्री की भी जानकारी ली जाएगी।
– क्लीनिक, डायलिसिस सेंटर व अस्पतालों के स्टाफ की भी टारगेट टेस्टिंग।
– मास्क लगाने व सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से अनुपालन कराया जाएगा।
– 10 बड़े अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले अधिक उम्र के लोगों का किया जाएगा टीकाकरण।
– नए केस की ट्रेवल हिस्ट्री व उनसे संपर्क वालों की जांच होगी। नगर आयुक्त व मुख्य विकास अधिकारी रोजाना समीक्षा करेंगे।
माइक्रो कंटेनमेंट जोन पहले खत्म कर दिए, अब फिर चेते
स्वास्थ्य विभाग ने एक मरीज मिलने पर उसके घर के 250 मीटर के दायरे को माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने का दावा किया था। करीब चार माह में कोई भी माइक्रो कंटेनमेंट जोन नहीं बनाया। अब मरीज बढ़ने पर फिर से माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने जा रहे हैं। इसमें आने वालों की स्क्रीनिंग के साथ जांच होगी। इलाके में मास्क न लगाने वालों का चालान भी किया जाएगा। क्षेत्र में सैंपलिंग भी बढ़ाई जाएगी।