डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में अब अंग प्रत्यारोपण और आसान हो जाएगा। यहां ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (एचएलए) मशीन लगने जा रही है। इसके जरिये अंग प्रत्यारोपण से पहले व्यक्ति की जांच की जाती है। इससे पता लगता है कि प्रत्यारोपण सफल रहेगा या नहीं। अभी तक राजधानी में सिर्फ एसजीपीजीआई में ही यह मशीन उपलब्ध है।
लोहिया संस्थान में अंग प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है। अंग प्रत्यारोपण से पहले कई प्रकार की सामान्य और विशिष्ट जांचें की जाती हैं। इनमें एचएलए जांच बेहद महत्वपूर्ण होती है। अंगदान करने और उसे लेने वाले व्यक्ति का एंटीजन मिलना चाहिए तभी अंग प्रत्यारोपण संभव हो सकता है। किडनी और लिवर दोनों के प्रत्यारोपण में इस टेस्ट की जरूरत पड़ती है। अभी तक लोहिया संस्थान के पास इसकी जांच करने की सुविधा नहीं है। इसकी वजह से प्रत्यारोपण से पहले जांच के लिए इसे अन्य संस्थानों पर आश्रित रहना पड़ता है। अब यह मशीन आने से न सिर्फ अंग प्रत्यारोपण में सफलता का प्रतिशत बढ़ेगा बल्कि उसमें लगने वाला समय भी कम होगा।
प्रत्यारोपण के लिए एंटीजन मिलना जरूरी
लोहिया संस्थान में ट्रांसफ्यूजन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुब्रत चंद्रा के अनुसार अंग प्रत्यारोपण के लिए सबसे पहले दानकर्ता और प्राप्तकर्ता दोनों का ब्लड ग्रुप मिलाया जाता है। रक्त समूह मिलने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है। यह प्रक्रिया बेहद जटिल होती है। इसके बाद एचएलए टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से ल्यूकोसाइट में एंटीजन की जांच की जाती है। एंटीजन मिल जाने के बाद ही प्रत्यारोपण किया जाता है। संस्थान में इस मशीन को लगाने को मंजूरी मिल गई है। इसके बाद प्रत्यारोपण में और तेजी आएगी।
50 लाख के करीब है कीमत
एचएलए मशीन की अनुमानित कीमत करीब 50 लाख रुपये है। इसका फायदा अंग प्रत्यारोपण के लिए इंतजार कर रहे मरीजों को होगा। मरीजों की जांच अब लोहिया संस्थान में ही की जा सकेगी। अभी तक अन्य संस्थानों में सैंपल भेजकर रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता था।