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कॉमनवेल्थ गेम में पिता के अधूरे सपने को पूरा करते हुए जेरेमी ने जीता गोल्ड, बढ़ाया भारत का मान

इस साल कॉमनवेल्थ गेम में भारत का कमाल का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। भारत के कई बच्चे गोल्ड और सिल्वर जीत रहे हैं जिससे भारत का नाम देश दुनिया में रोशन हो रहा है।

भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टर कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं।

दूसरे दिन चार पदकों के बाद तीसरे दिन 19 साल के मिजोरम के वेटलिफ्टर जेरेमी लालरिनुंगा ने 67 किलोग्राम भारवर्ग का गोल्ड मेडल अपने नाम किया। आपको बता दें कि जरिमिन स्नैच की शुरुआत 136 किलोग्राम वजन के साथ की और पहले ही प्रयास में उन्होंने यह वेट उठा लिया।

दूसरे प्रयास में उन्होंने 140 किलोग्राम का भार उठाया. ये कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड है. जेरेमी ने तीसरी कोशिश में 143 किलो वजन उठाने की ह। आपको बता दें कि जेरेमी ने भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता है।

पिछले साल कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में उन्होंने स्नैच में 141 किलोग्राम का भार उठाया था. उन्होंने 305 (141+164 KG) किलोग्राम वजन उठाकर इस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल भी जीता था।

आपको बता दें कि जेरेमी का जन्म आइजोल में हुआ है और उनके खून में ही खेल है। उनके पिता बॉक्सिंग में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप रह चुके हैं। जेरेमी के चारों भाई अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए खेल में उतरे। जय रानी ने अपनी शुरुआत मुक्केबाजी से की थी। लेकिन बाद में उनका इंटरेस्ट वेटलिफ्टिंग में हो गया।

जेरेमी ने कहा था, मेरे गांव में एक एकेडमी है, जहां कोच वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग देते हैं. मैंने अपने दोस्तों को वेटिफ्टिंग करते देखा तो मुझे लगा कि यह दमखम का खेल है, तो मुझे भी इसमें उतरना चाहिए।

जेरेमी के पिता का भारत की तरफ से मुक्केबाजी करने का सपना अधूरा रह गया था. उन्होंने भारत की तरफ से दो बार खेलने की कोशिश की.लेकिन, वो सफल नहीं हो पाए. लेकिन जेरेमी ने न सिर्फ पिता के इस सपने को पूरा किया।

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