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क्लर्क का बेटा बना IAS,कभी ग्रेजुएशन करने के लिए नहीं थे पैसे,जानिए शशांक त्रिपाठी की कहानी

यूपीएससी देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. अक्सर यह देखने को मिलता है कि दिल्ली से लेकर लखनऊ तक कई जगह बच्चे बड़े-बड़े कोचिंग में यूपीएससी के सपने को पूरा करने के लिए एडमिशन लेते हैं और रात दिन कड़ी मेहनत करते हैं. कुछ लोग इतने मिली असफलताओं के बाद हार मान लेते हैं लेकिन कुछ कुछ विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जो लगातार हो रही हार के बावजूद हिम्मत नहीं हारते और अंत में अपना सपना पूरा करके दिखा ही देते हैं. हम आपके लिए एक ऐसे ही कहानी लाए हैं यह कहानी है शशांक की –
शशांक त्रिपाठी जिन्होंने पहले ही प्रयास में यह परीक्षा पास तो कर ली थी लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी और दूसरे अटेम्प्ट में टॉप किया।

शशांक उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के रहने वाले हैं. शशांक ने अपनी पढ़ाई लिखाई नवाबगंज के दीनदयाल उपाध्याय स्कूल से किया. शशांक के पापा इसे स्कूल में क्लर्क थे. शशांक के घर में पढ़ाई लिखाई का माहौल हमेशा रहता था जिसके कारण शशांक पढ़ाई में शुरू से ही अच्छे से और 12वीं में उन्होंने 93 परसेंट अंक प्राप्त किया.

शशांक ने स्कूलिंग पूरी होने के बाद अपनी bachelor की डिग्री आईआईटी कानपुर से लिया. आपने भी देखा होगा कि विद्यार्थी अपने बैचलर डिग्री या फिर अपने कोर्स को पूरा करने के बाद प्लेसमेंट के चक्कर में लग जाते हैं लेकिन शशांक ने ऐसा कुछ नहीं किया उनके तो दिल और दिमाग में सिर्फ यूपीएससी था. इसी जुनून के चलते साल 2014 में यूपीएससी परीक्षा के पहले अटेम्प्ट में ही उन्होंने 272वीं रैंक प्राप्त की थी। जिसके बाद नागपुर में इंडियन रिवेन्यू सर्विस लिए उनकी ट्रेनिंग शुरू हो गई। अपनी इस सफलता के बाद भी शशांक संतुष्ट नहीं थे।

प्रशासनिक सेवा में जाने के इच्छुक शशांक ने ट्रेनिंग के दौरान ही दुगनी मेहनत के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी थी। ट्रेनिंग और पढ़ाई में संतुलन बना कर चलना बेहद मुश्किल था लेकिन फिर भी उन्होंने अपना हौसला कम नहीं होने दिया। शशांक ने यूपीएससी 2015 के अपने दूसरे प्रयास में न केवल पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया बल्कि 5वीं रैंक के साथ परीक्षा में टॉप भी किया।
शशांक ने संस्कृत को अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में चुना था। शशांक ने यह साबित कर दिया कि अगर इंसान चाहे तो कुछ भी हासिल कर सकता है और वह करोड़ों खुद विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा भी बन गए जो मेहनत से कुछ हासिल करना चाहते हैं.

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