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चेहरे पर बेबसी,आंखों में लाचारी-लखनऊ में 86 वर्ष के पिता को बेटों ने घर से निकाला,बेटियों ने बनाया दूरी,आंखों में आंसू ला देगी यह कहानी

आजकल अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बच्चे जब काबिल हो जाते हैं तब अपने मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं क्योंकि उन्हें अपने मां-बाप के बोझ लगने लगते हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक ऐसी ही घटना सामने आई है जहां बच्चे अपने 82 साल के बुजुर्ग पिता को दर-दर की ठोकर खाने के लिए छोड़ गए हैं. दो बेटों और बेटियों के होते हुए भी यह पिता दर-दर ठोकर खाने के लिए मजबूर हो गया है.

लखनऊ के रकाबगंज के रहने वाले रामेश्वर प्रसाद के दो जवान बेटे और चार बेटियां हैं. इस सबके बावजूद वह परेशानियां झेल रहे हैं. दरअसल बीमार होते ही बेटों ने उनको घर से बाहर निकाल दिया और वह हाथों में यूरिन का बैग लेकर बेबस इधर उधर घूम रहे हैं. वहीं, बेटियों ने भी उनकी सेवा करने से मना कर दिया. ऐसे में वन स्टॉप सेंटर ने उनको सरोजनी नगर स्थित सार्वजनिक शिक्षोन्नयन संस्थान पहुंचाया है.

आपको बता दें कि बुजुर्ग पिता रामप्रसाद यादव के आंखों में बच्चों के द्वारा ठुकराने का दर्द साफ दिखाई दे रहा है. इसी बीच वन स्टॉप सेंटर के प्रभारी अर्चना सिंह ने अपनी टीम के साथ रामप्रसादी के बच्चों के खिलाफ केस दर्ज कराने और उनसे अपने पिता को शो कराने को लेकर इंसाफ मांगने के लिए तैयारी शुरू कर दी है.

जब तक पैसा था, तब तक बच्चों के लिए पिता था-

रामेश्वर प्रसाद बताते हैं कि उनका मसालों का छोटा सा धंधा था, लेकिन इसके बाद भी जहां पर भी दो पैसे ज्यादा मिलते थे, तो वहीं पर काम करने लग जाते थे. साथ ही बताया कि वह पहले रकाबगंज रहते थे, लेकिन बाद में टिकैतगंज आ गए. पिछले 25 साल से यहीं पर रह रहे हैं. रामेश्वर प्रसाद के मुताबिक, उनके दो बेटे हैं जो ड्राइवर हैं. जबकि चार बेटियां हैं और उन सभी की शादी हो चुकी है. उनको बेटे अक्सर प्रताड़ित करते रहते हैं. बड़े बेटे ने उनके ऊपर दो बार हाथ भी उठाया है. इसके साथ दोनों बेटे आपस में एक दूसरे को पिता को रखने के लिए कहते रहते हैं. दोनों भाइयों की आपस में नहीं बनती है.

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