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भारत में जल्द आने वाला है 5G: सरकार जल्द शुरू करेगी नीलामी की प्रक्रिया,जाने क्या होगा 5G की खासियत

हमारे देश भारत में व्यापक 4जी सेवाओं को शुरू करने में बहुत बड़ी सफलता हाथ लगी जिसके बाद अब सरकार 5G सेवा शुरू करने वाला है। केंद्र सरकार ने इस बार स्पेक्ट्रम की नीलामी को अधिक सरल करने के लिए कई सुधारवादी कदम उठाये हैं। पहली बार ऐसा होगा कि स्पेक्ट्रम नीलामी के सफल बोली दाताओं को अग्रिम भुगतान की जरूरत नहीं होगी।

5जी के रोल-आउट की सुविधा के लिए और मौजूदा दूरसंचार सेवाओं का विस्तार करने के लिए दूरसंचार विभाग ने स्पेक्ट्रम नीलामी शुरू की है और 15 जून 2022 को इसके लिए नोटिस आमंत्रण आवेदन (एनआईए) जारी किया गया है। आपको बता दें कि आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 8 जुलाई रखा गया है। 22 जुलाई से स्पेक्ट्रम नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

इस बार 600 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में उपलब्ध सभी स्पेक्ट्रम इस नीलामी का हिस्सा हैं।

इस नीलामी के माध्यम से आवंटित स्पेक्ट्रम का उपयोग एक्सेस सर्विस लाइसेंस के दायरे में 5जी (आईएमटी-2020) या किसी अन्य तकनीक के लिए किया जा सकता है।

यह नीलामी एक साथ कई दौर की आरोही (साईमल्टेनियस मल्टीपल राउंड असेंडिंग- एसएमआरए) ई-नीलामी होगी। सफल बोलीदाताओं को 7.2 प्रतिशत की ब्याज दर पर 20 समान वार्षिक किस्तों में भुगतान करने की अनुमति दी जाएगी।बिना किसी पेनाल्टी के स्पेक्ट्रम के बकाये का पूर्व भुगतान किया जा सकता है।

इस नीलामी के माध्यम से प्राप्त स्पेक्ट्रम को कम से कम दस साल की अवधि के बाद ही सरेंडर किया जा सकता है। सरेंडर किए गए स्पेक्ट्रम के मद में किये गये पूर्व भुगतान राशि को लौटाया नहीं जाएगा। सरेंडर करने वाले बैंड्स की नीलामी में अगले दो साल के लिए दूरसचांर कंपनियां हिस्सा नहीं ले सकती हैं।

इस नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए कोई स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) नहीं देना होगा। एक सफल बोलीदाता के लिए वित्तीय बैंक गारंटी (एफबीजी) और कार्य निष्पादन बैंक गारंटी (पीबीजी) जमा करने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क नहीं होने के कारण आने वाली नीलामी में स्पेक्ट्रम हासिल करना तुलनात्मक रूप में कम लागत का होगा।

लाइसेंसधारी दूरसंचार कंपनियां इस नीलामी के माध्यम से प्राप्त स्पेक्ट्रम का उपयोग करके उद्योगों के लिए पृथक कैप्टिव गैर-सार्वजनिक नेटवर्क स्थापित कर सकती हैं।

ये नेटवर्क आम लोगों की पहुंच में नहीं होंगे। कोई भी उद्यम दूरसंचार कंपनियों से स्पेक्ट्रम लीज पर लेकर कैप्टिव गैर-सार्वजनिक नेटवर्क स्थापित कर सकता है। हालांकि, इसके लिए दूरसंचार विभाग स्पेक्ट्रम लीजिंग निर्देश जारी करेगा। उद्यम सीधे दूरसंचार विभाग से भी स्पेक्ट्रम हासिल कर सकते हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्पेक्ट्रम की नीलामी करने के दूरसंचार विभाग के एक प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दी है, जिसके तहत सफल बोलीदाताओं को जनता और उद्यमों को 5जी सेवाएं प्रदान करने के लिए स्पेक्ट्रम सौंपा जाएगा।

पहली बार सफल बोलीदाताओं द्वारा अग्रिम भुगतान करने की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं है। स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान 20 समान वार्षिक किस्तों में किया जा सकता है। यह भुगतान प्रत्येक वर्ष की शुरूआत में अग्रिम रूप से किया जाना है।

इससे नकदी प्रवाह की आवश्यकताओं में काफी कमी आने और इस क्षेत्र में व्यवसाय करने की लागत कम होने की उम्मीद है। बोलीदाताओं को शेष किस्तों के संबंध में भविष्य की देनदारियों के बिना 10 वर्षों के बाद स्पेक्ट्रम को सरेंडर करने का विकल्प दिया जाएगा।

5जी सेवाओं के रोल-आउट को सक्षम करने के लिए पर्याप्त बैकहॉल स्पेक्ट्रम की उपलब्धता भी आवश्यक है। बैकहॉल की मांग को पूरा करने के लिए दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को ई-बैंड में प्रत्येक 250 मेगाहर्ट्ज के 2 कैरियर अनंतिम रूप से आवंटित करने का निर्णय लिया है।

मंत्रिमंडल ने 13, 15, 18 और 21 गीगाहट्र्ज बैंड के मौजूदा फ्रीक्वेंसी बैंड में पारंपरिक माइक्रोवेव बैकहॉल कैरियर की संख्या को दोगुना करने का भी निर्णय लिया। आपको बता दें कि 4G की तुलना में 5G सेवाएं अधिक महंगी होगी और इसकी कनेक्टिविटी भी काफी ज्यादा होगी।

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