मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी में चोरी तथा उनका शोषण किए जाने की घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाने की व्यवस्था केंद्र सरकार ने दी है। राज्यों को मनरेगा के कार्यों में पारदर्शिता के लिए पांच बिंदुओं पर काम करने के निर्देश दिए हैं। जिसके तहत हर जिले में मनरेगा लोकपाल की तैनाती किया जाना है। राज्य के 46 जिले जहां पर मनरेगा लोकपाल नहीं थे, वहां के लिए लोकपाल का चयन कर लिया गया है। इनकी तैनाती जल्द कर दी जाएगी।
जिले में समाधान नहीं होने पर राज्य लोकपाल करेंगे सुनवाई-
केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक मनरेगा से संबंधित हर तरह की शिकायतों की सुनवाई हर जिले में मनरेगा लोकपाल करेंगे। इसके लिए सभी जिलों में लोकपाल की तैनाती अनिवार्य है। राज्य में अभी सिर्फ 29 जिलों में लोकपाल थे। केंद्र सरकार का निर्देश मिलने के बाद शेष 46 जिलों के लिए लोकपाल का चयन कर लिया गया है। जिले में यदि लोकपाल के यहां किसी शिकायत का समाधान नहीं हो पाता है तो पीड़ित राज्य लोकपाल के पास अपील कर सकता है।
100 फीसदी श्रमिकों के बैंक खाते आधार से जुड़ेंगे
वहीं दूसरी गाइड लाइन 100 फीसदी श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान उसी खाते में करने का निर्देश है, जिससे श्रमिक का आधार जुड़ा हो। प्रदेश में अभी करीब 70 फीसदी मजदूरों के खाते ही आधार से लिंक हैं। शेष 30 फीसदी मजदूरों के खाते आधार से लिंक कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह भी निर्देश है कि मनरेगा से संबंधित शिकायतों का निस्तारण प्रशासन के अफसर प्राथमिकता के आधार पर करेंगे।
डीएम और सीडीओ भी ऐप से जुड़कर करेंगे निरीक्षण
निर्देश है कि प्रत्येक डीएम और सीडीओ अपने जिले में हर महीने 10-10 मनरेगा कार्य तथा बीडीओ हर महीने 15 मनरेगा कार्यों का निरीक्षण करेंगे। यह निरीक्षण एरिया इंस्पेक्शन ऐप के माध्यम से करना है। ऐप की मानीटरिंग सीधे दिल्ली से किए जाने की व्यवस्था है। मनरेगा के कामों की सही स्थिति जानने के लिए हर पंचायत में सोशल आ़डिट कराने के निर्देश भी हैं।
पांच बिंदु तय
केंद्र सरकार ने जो पांच बिंदु तय किए हैं उसका उद्देश्य मनरेगा के कार्यों को पूरी तरह पारदर्शी बनाना है। मजदूरों का कहीं शोषण ना हो इसका इंतजाम किया गया है। केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुपालन में अभी जो कमियां हैं उसे दूर किया जा रहा है। योगेश