इको टूरिज्म बोर्ड गठित होने के बाद से वन विभाग की निगाह अपने जंगल, नदियों व झीलों पर है कि कैसे उसका विकास करके लोगों नया पर्यटकीय स्थल उपलब्ध कराया जाए।
ताकि इससे राजस्व की वृद्धि हो और लोगों को घूमने के लिए नया स्थल भी मिले। इसे ध्यान में रखकर गोरखपुर वन विभाग शहर से सटे कुसम्हीं जंगल में हाथी सफारी बनाने की तैयारी कर रहा है।
वह इसके लिए प्रस्ताव तैरूार कर रहा है। जल्द ही वह इसे इको टूरिज्म बोर्ड के पास भेजेगा। बोर्ड ने स्वीकृति दी तो गोरखपुर इको टूरिज्म का बड़ा केंद्र बनेगा। गोरखपुर में हाथी सफारी बनने के बाद पूर्वांंचल के पर्यटन को काफी बल मिलेगा।
झोपड़ी में गुजरेगी रात, कैनोपी व नेचर वाक से दिखेगा जंगल का नजारा
नेपाल का चितवन जंगल, उत्तराखंड का जिम कार्बेट पार्क, मध्य प्रदेश का कान्हा नेशनल पार्क हाथी सफारी को लेकर दुनियां भर में मशहूर हैं।
हाथी पर बैठकर जंगल देखने का अपना एक अलग ही मजा है। उसे ध्यान में ही रखकर विभाग आठ हजार एकड़ में फैले कुसम्हीं जंगल में हाथी सफारी को लेकर प्रस्ताव तैयार कर रहा है।
इसके लिए लिए वह कुसम्हीं जंगल के कच्चे रास्तों का सर्वे कर चुका है। उसका मानना है कि हाथी सफारी के जरिये लोग जंगल घूम भी सकेंगे और जंगल का महत्व भी जान सकेंगे।
घुड़सवारी का भी लुत्फ उठा सकेंगे लोग
कुसम्हीं जंगल विचरण करने के लिए जगह-जगह कच्चे रास्ते हैं। लोग इन रास्तों पर घुड़सवारी का भी आनंद उठा सकेंगे। वन विभाग की इसकी भी तैयारी कर रहा है कि लोग यहां हाथी सफारी के साथ-साथ घुड़सवारी का भी लाभ उठा सकें।
इतना ही नहीं यहां पर कैनोपी वाक (एक पेड़ से दूसरे पेड़ रस्सी के सहारे चलना), नेचर वाक(एक स्थान से दूसरे स्थान तक पैदल चलकर जंगल देखना) का भी प्रस्ताव में जिक्र कर रहा है।
इतना ही नहीं कुसम्ही जंगल के विनोद में बांस की कुछ झोपड़ियां तैयार की जाएंगी। ताकि लोग जंगल में आराम करने का भी आनंद उठा सकें।
वन विभाग का मानना है इससे दूर-दराज के क्षेत्रों से लोग कुसम्ही जंगल विचरण करने के लिए आएंगे। टिकट के जरिये राजस्व की भी वृद्धि होगी।