हमारा देश बहुभाषी है और यहां पर हर थोड़ी दूरी पर भाषा बदल जाती है इसलिए आजकल हर कोई चाहता है कि वह हर भाषा से रूबरू रहे। इसलिए हर कोई चाह रहा है कि वह बहुभाषी रहे और हर भाषा के बारे में जाने ताकि उसे किसी भी तरह की परेशानी ना हो।
भाषाओं में निहित संस्कार और परंपरा से नई पीढ़ी को जोड़ने और उन्हें उसी तरह बढ़ने का अवसर देने के लिए एनसीईआरटी ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के अंतर्गत भाषा संगम की शुरुआत की है।
इसमें 22 भाषाओं के आम बोलचाल में इस्तेमाल 100 शब्दों को बच्चों को लिखने, पढ़ने और समझने में मदद की जा रही है। बच्चों को भारतीय भाषाओं से परिचित कराने के लिए और सभी भाषाओं के प्रति आदर सम्मान की भावना बच्चों के मन में लाने के लिए केंद्रीय स्कूलों में एक विशेष योजना चलाई जा रही है।
आपका नाम क्या है?
पहली मुलाकात में हम एक-दूसरे से नाम ही पूछते हैं। हिंदी में ””आपका नाम क्या है”” को संथाली में ””आमाक नुतुम चेत”” बोलते हैं। नेपाली में ””तिम्रो नाम के हो””, कन्नड़ में ””निन्न हेसरेनु””, असमी में ””तुमार नाम कि”” और बांग्ला में ””तोमार नाम कि”” बोलते हैं। इसी तरह अन्य भाषाओं के भी रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल शब्दों को संबंधित भाषा, उसके हिंदी रोमन, हिंदी, अंग्रेजी रोमन और अंग्रेजी अनुवाद एनसीईआरटी की पुस्तिका में हैं। केंद्रीय विद्यालय पंजाब लाइंस के पूर्व वरिष्ठ शिक्षक आशुतोष शुक्ला के अनुसार इस सत्र में उत्तर प्रदेश और अरुणाचल की जोड़ी बनी है।
आपको बता दें कि हर दिन इसमें बच्चे कुछ भाषाओं को प्रार्थना के दौरान सुनते हैं और उसे अपनाते हैं। बच्चे भाषाओं के बारे में रूबरू होते हैं और इन सभी भाषाओं से जोड़ते हैं तथा भाषाओं के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाते हैं।
22 भाषाओं की दी है जानकारी
एनसीईआरटी ने भाषा संगम के लिए नया पोर्टल बनाया है। इसमें हिंदी सहित असमी, बांग्ला, बोडा, गुजराती, कन्नड़, मणिपुरी, नेपाली, तमिल, तेलुगु, उर्दू सहित 22 भाषाओं को समझने, समझाने और सीखने के लिए पीडीएफ फाइल और वीडियो हैं।