मानसून से पहले बारिश आने से यूपी के कई जिलों की नदियों का जलस्तर बढ़ गया। जिसके चलते कई गांवों में बाढ़ आ गई है। समय से पहले बाढ़ आ जाने से लोगों का रहन-सहन भी दूभर हो गया है। शादी-बारात की खुशियों पर भी पानी फिर गया। मेहमानों के स्वागत को लेकर की गई तैयारियां भी बाढ़ के पानी में धुल गई। इसी तरह का मामला लखीमपुर खीरी जिले के फूबेहड़ क्षेत्र में भी दिखा। बेटी की शादी धूमधाम से कराने और बारात के स्वागत के लिए घर सजाया गया। परिवार के साथ गांव वाले भी तैयारियों में जुटे रहे। शादी के एक दिन पहले शारदा नदी में आई बाढ़ से पूरा गांव जलमग्न हो गया। परिवार वाले परेशान हो गए कि अब कहां शादी होगी। कहां बारात रुकेगी। गांव तक बारात कैसे पहुंचेगी। लेकिन हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले गांव के लोगों ने इसका भी इंतजाम कर लिया। दूल्हा सहित बाराती ट्रैक्टर ट्राली पर सवार होकर गांव पहुंचे। सड़क किनारे ऊंची जगह पर मंडप बनाया गया। यहीं पर फेरे हुए और शाम को दूल्हन लेकर बारात फिर ट्रैक्टर ट्राली से विदा हुई। करीब पांच किलोमीटर तक पानी से निकलने के बाद बारात में आई गाड़ियों में बाराती सवार हुए और अपने घरों को गए।
यह कहानी फूलबेहड़ ब्लॉक के जंगल नम्बर 10 टापरपुरवा गांव की है। गांव में रहने वाले रामकुमार की बेटी की शादी टहारा गांव में रहने वाले हरद्वारी लाल के बेटे से तय हुई। शादी का मुहूर्त सोमवार को था। सोमवार को टहारा गांव से धूमधाम से बारात जंगलनम्बर 10 के लिए रवाना हुई। कारों में सवार होकर बाराती मीलपुरवा गांव तक पहुंचे। इसके बाद चारो ओर पानी। टापरपुरवा गांव तक पहुंचने के लिए रोड पर दो-से तीन फुट पानी भरा देख बाराती सकते में आ गए कैसे बारात गांव तक पहुंचेगी। टापरपुरवा गांव के लोगों ने तुरंत ट्रैक्टर ट्राली का इंतजाम किया और मीलपुरवा पहुंच गए। यहां दूल्हा व उसके परिवार के लोग कारों को छोड़कर ट्रैक्टर पर सवार हुए।
बाराती ट्राली में चढ़े। करीब पांच किलोमीटर तक पानी में जाकर बारात गांव पहुंची। पूरा गांव स्वागत में लगा रहा। ऊंचे घर में जहां पानी नहीं था वहां मंडप सजाया गया। फेरे हुए और बाद में बारात की वापसी फिर ट्रैक्टर ट्राली से हुई। लोगों ने बताया गांव में सड़क पर पानी नहीं भरा है वहीं पर बारातियों का स्वागत किया गया। यह शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी है। बताते चलें कि शारदा नदी के किनारे बसे गांवों के लोग हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं और बरसात के दिनों में समस्याओं का सामना करते हैं।