विस्तार
गोरखपुर में शोर शराबे और हंगामे के बीच नगर निगम का बजट पास हो गया। शहर के विकास के लिए 473 करोड़ रुपये खर्च वाले बजट को नगर निगम बोर्ड ने मुहर लगा दी। इस दौरान कुछ महत्सपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी भी दी गई। वहीं कुछ मसलों को लेकर नगर निगम प्रशासन के रवैये के विरोध में पार्षदों ने मंच के पास धरना भी दिया।
शनिवार को एनेक्सी भवन हॉल में मेयर सीताराम जायसवाल की अध्यक्षता में आयोजित नगर निगम बोर्ड की बैठक नगर निगम की पिछली कार्यकारिणी के प्रस्तावों पर मुहर लगाने के साथ हुई। नगर निगम बोर्ड ने शहर के विकास के लिए तैयार अब तक के सबसे बड़े बजट को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके बाद विभिन्न मसलों को लेकर पार्षदों ने एनेक्सी भवन हॉल में खूब नारेबाजी की।
पार्षद वरीयता के 30-30 लाख रुपये के प्रावधान, पथ प्रकाश की खराब स्थिति, हरिहर प्रसाद दुबे मार्ग के निर्माण, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने में धांधली आदि के लेकर पार्षदों ने काफी हंगामा किया। पार्षद वरीयता और पथ प्रकाश को लेकर तो मेयर सीताराम जायसवाल और नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए जल्द से जल्द इसको करने का आश्वासन दिया, लेकिन अन्य मसलों पर सदन की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर पार्षदों ने नारेबाजी करते हुए मंच के पास ही धरना देना शुरू कर दिया।
बेतियाहाता के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी ने हरिहर प्रसाद दुबे मार्ग की स्वीकृति के बाद भी नहीं बनाए जाने पर काफी नाराजगी जताई और सदन से जवाब मांगा। अफरोज गब्बर ने जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया के जटिल किए जाने और काफी ज्यादा धांधली को लेकर आपत्ति जताई। इन सब मसलों पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर पार्षदों ने शोर-शराबा और हंगामा करना शुरू कर दिया।
इसके बाद नगर आयुक्त ने सदन की कार्यवाही समाप्त घोषित कर दी। कई मसलों पर कोई निर्णय नहीं हो सका। कुछ पार्षदों ने मंच पर उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा के बैठने पर भी सवाल उठाया, लेकिन सदन के अध्यक्ष मेयर सीताराम जायसवाल द्वारा इसे खारिज कर दिया गया। इस दौरान उप नगर आयुक्त संजय शुक्ला, चीफ इंजीनियर सुरेश चंद, जलकल जीएम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव समेत सभी अधिकारियों के अलावा पार्षद मनु जायसवाल, रणंजय सिंह जुगनू, वीर सिंह सोनकर, मदन अग्रहरि, कंचनलता सिंह, संजीव सिंह सोनू समेत नगर निगम के सभी पार्षद मौजूद रहे।
नगर आयुक्त ने कहा कि 30-30 लाख की मंजूरी नहीं और शुरू हो गया हंगामा
नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में पार्षद वरीयता के रूप में 30-30 लाख रुपये के प्रावधान पर असमंजस की स्थिति बन गई। इसको लेकर काफी हंगामे वाली स्थिति बनी रहीं। दरअसल सिविल लाइंस एक के पार्षद अजय राय ने मामला उठाते हुए कहा कि नगर निगम कार्यकारिणी बैठक में पार्षद वरीयता के लिए 30-30 लाख रुपये को मंजूरी दी गई थी, लेकिन बजट में इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
ऐसे में बजट में संशोधन करते हुए पार्षद वरीयता के मामले को शामिल किया जाए। लेकिन नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि कार्यकारिणी की बैठक में ऐसे किसी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई। कहा कि नगर निगम की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ऐसा कर पाना संभव ही नहीं होगा। इसके बाद पार्षदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। इसके बाद मेयर सीताराम जायसवाल ने कहा कि कार्यकारिणी बोर्ड ने पार्षद वरीयता के रूप में हरेक वार्ड में 30-30 लाख रुपये के काम को स्वीकृति दी गई है। लेखाधिकारी अमरेंद्र बहादुर पाल ने इस पर हामी भरते हुए कहा कि बजट में इसके लिए प्रावधान भी कर दिया गया है। तब जाकर मामला शांत हुआ।
शौकत अली को भूमि आवंटन का प्रस्ताव सर्वसम्मति से खारिज
नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में सपा पार्षदों द्वारा खूनीपुर निवासी शौकत अली को 527 वर्गफीट भूमि आवंटित करने की मांग रखी, जिसका भाजपा पार्षदों ने पुरजोर विरोध किया था। नगर निगम बोर्ड में फिर से इस प्रस्ताव को रखा गया, लेकिन बहुमत के आधार पर शौकत अली को लीज पर जमीन देने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।
सेवा भारती को जमीन देने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी
महादेव झारखंडी में करीब 150 हेक्टेयर जमीन एम्स में इलाज के आने वाले मरीजों के परिजनों की सुविधा के लिए आवासीय भवन निर्माण के लिए सेवा भारती( गोरक्ष प्रांत, माधव धाम, दयानंद मार्ग राजेंद्र नगर पूर्वी गोरखपुर) को देने को पार्षदों ने ध्वनि मत से मंजूरी दे दी।
आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की मदद से दुरुस्त होगी स्ट्रीट लाइट व्यवस्था
कई पार्षदों ने शहर की स्ट्रीट लाइट व्यवस्था को लेकर काफी नाराजगी जताई। कहा गया कि मेंटेनेंस की जिम्मेदार कंपनी ईईसीएल की लापरवाही से शहर में 70 प्रतिशत से ज्यादा स्ट्रीट लाइट खराब है। कंपनी की ओर से ठीक नहीं किया जा रहा है। कार्यकारिणी सदस्य जियाउल इस्लाम ने व्यवस्था होने तक आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सहायता से इसे दुरुस्त रखने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे सभी पार्षदों का साथ मिला और सदन ने ध्वनि मत से इसे पास कर दिया। वहीं नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि आउटसोर्सिंग पर आने वाले खर्च को कंपनी से कटौती की जाए। साथ ही कंपनी को एक कड़ा पत्र लिखते हुए शासन को कंपनी की लापरवाही से अवगत कराया जाए।
नगर निगम अभी है 127 करोड़ का देनदार
नगर निगम के अधिकारियों की तरफ से बताया गया कि नई बोर्ड के समय नगर निगम पर 127 करोड़ रुपये की लायबिल्टी थी, लेकिन अब सिर्फ 40 करोड़ रुपये की देनदारी रह गई है। 8 करोड़ की देनदारी निर्माण विभाग की बची है। मेयर ने बताया कि अगले सत्र तक नगर निगम की किसी प्रकार की देनदारी नहीं रह जाएगी। जिससे विकास कार्यों में तेजी आएगी।
नगर आयुक्त ने कहा कि 30-30 लाख की मंजूरी नहीं और शुरू हो गया हंगामा