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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रेलवे स्टेशन का निर्माण 1885 में हुआ था। उस दौरान सोनपुर से छपरा, गोरखपुर होकर मनकापुर तक मेन लाइन बिछाई गई थी। स्टेशन की इमारत एक मंजिला थी और आधा दर्जन कमरे थे। टाइल वाली छत थी। पूर्वी छोर पर स्थित कमरा रिफ्रेशमेंट रूम था।
सिग्नलिंग बहुत ही आदिम थी। स्टेशन मास्टर के कार्यालय के सामने प्लेटफॉर्म पर एक चार लीवर फ्रेम, सामने वाले बिंदुओं पर चार घरेलू संकेतों को नियंत्रित करता था।
उस समय केवल बिजली से जगमगाते बंगले एजेंट और लोको सुपरिंटेंडेंट के थे और लाइटें एजेंट के परिसर में एक छोटे से प्लांट से आती थी, जिसे उन्होंने अपने खर्च पर लगाया था।
यात्रियों के बैठने के लिए एक वेटिंग रूम था। जबकि अंग्रेजों के लिए वीआईपी रूम भी था। जिसमें किसी और को जाने की इजाजत नहीं थी।