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IAS Gaurav Singh:ट्यूशन पढ़ाकर किया बहन की शादी,तीन बार असफल होने के बाद पूरा किया IAS बनने का सपना

हर साल लाखों की संख्या में अभ्यर्थियों upsc का एग्जाम देते हैं और इसमें सफल कुछ ही अभ्यर्थियों पाते हैं.इस परीक्षा को पास करने के लिए कठिन परिश्रम और सही रणनीति की आवश्यकता पड़ती है. कई ऐसे अभ्यार्थी होते हैं जो मुश्किलों के आगे हार मान लेते हैं. लेकिन इसमें से कुछ ऐसे अभ्यर्थी भी होते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं और जब तक सफल नहीं होते तब तक चैन की सांस नहीं लेते हैं.

आज हम आपको बताने वाले हैं राजस्थान के रहने वाले गौरव सिंह सोग्रवाल की कहानी. गौरव अपने बचपन में तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा को पास कर दिखाएं. गौरव ने बचपन में अपने माता पिता को खो दिया था. माता पिता के देहांत के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई. लेकिन उन्होंने हार नहीं माना.

गौरव राजस्थान के भरतपुर जिले के किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. गौरव की मां का निधन बचपन में ही हो गया और जब वह 14 साल के थे तब उनके पिता का भी निधन हो गया. माता पिता के निधन के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी गौरव के ऊपर आ गई.खेती के साथ-साथ उन्हें अब अपने भाई बहनों की देखभाल भी करनी पड़ती थी.

कॉलेज के दिनों में गौरव अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने घर का खर्चा चलाने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे.वह किसी भी तरह अपने कॉलेज की पढ़ाई खत्म करके एक बड़ा लक्ष्य यूपीएससी को हासिल करने के लिए दिल्ली पढ़ाई करने आ गए.

गौरव ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के हिंदी मीडियम स्कूल से किया और बाद में भारतीय विद्यापीठ से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद वह दिल्ली के एक आईआईटी की तैयारी कराने वाले नारायण इंस्टीट्यूट में पढ़ाना शुरू किए.

इसी बीच उन्हें कोटा के इंस्टिट्यूट में पढ़ाने का मौका मिला. यहां पर आने से उनके परिवार की जिम्मेदारी वह आसानी से उठाने लगे. परिवार की जिम्मेदारी उठाने के बीच उनके upsc का सपना धूमिल होने लगा.

हालांकि वह अपने सपने को मरने नहीं दिया और अपने जिम्मेदारियों के साथ आईएएस का तैयारी भी करने लगे. पहली बार जब वो यूपीएससी का एग्जाम दिए तो उनका मेंस दो नंबर से छूट गया. इसी बीच उनका चयन बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट के पोस्ट पर हो गया.

ट्रेनिंग के समय गौरव को पता चला कि 2015 सिविल सेवा परीक्षा में उनका 99वां रैंक आया है. उसके बाद 2016 में उन्होंने फिर यूपीएससी की एग्जाम दिए और उनका 46 वां रैंक आया. गौरव की कहानी यह साबित करती है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए. लगातार कोशिश करते रहने से 1 दिन सफलता अवश्य मिलती है.

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