लखनऊ। सोने के गहने खरीदने पर उसकी गुणवत्ता को लेकर रहने वाली आशंका जल्द खत्म हो जाएगी। इसका कारण है कि एक जून से सभी सराफा कारोबारी हॉलमार्क के ही गहने बेचेंगे। वे सोने की शुद्धता की गारंटी भी देंगे।
नई व्यवस्था में ग्राहक ब्रांडेड कंपनी के शोरूम से सोने के गहने खरीदें या अन ब्रांडेड कारोबारी के शोरूम से, उन्हें एक समान कीमत ही चुकानी पडे़गी। अभी दोनों के गहनों की कीमत में प्रति दस ग्राम तीन से चार हजार रुपये का अंतर रहता है। कारोबारी सोने के गहने की हॉलमार्किंग की लागत ग्राहकों से ही वसूलेंगे। इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष व चौक के कारोबारी अनुराग रस्तोगी ने बताया कि एक गहने की हॉलमार्किंग की लागत 35 रुपये आएगी। ऐसे में ग्राहक जितने आइटम खरीदेंगे, उन्हें 35 रुपये के रेट से अतिरिक्त रकम चुकानी पड़ेगी।
पांच फीसदी ने ही अब तक कराया है पंजीयन
लखनऊ सराफा एसोसिएशन के महामंत्री प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि जिले में छोटे, मझोले व बड़े मिलाकर छह हजार से अधिक सराफा कारोबारी हैं। इनमें से अब तक पांच फीसदी (300) ने ही हॉलमार्किंग गहने बेचने के लिए पंजीयन कराया है, जबकि सभी कारोबारियों का पंजीयन अनिवार्य है। पांच साल के पंजीयन का शुल्क 05 से 25 हजार रुपये तक है। बाद में नवीनीकरण कराना पड़ेगा।
भारी पड़ेगा ग्राहक के साथ धोखाधड़ी करना
हॉलमार्किंग के नए नियमों के अनुसार ग्राहक को 22 कैरेट सोना बताकर गहने बेचने पर जांच में यह 18 कैरेट पाया गया तो धोखाधड़ी करने वाला कारोबारी जेल जाएगा। भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से उस पर जुर्माना भी ठाेंका जा सकता है। नई व्यवस्था लागू होने को देखते हुए कारोबारियों ने सोने के गहनों का पुराना स्टॉक निकालना शुरू कर दिया है।
बंद हो जाएगा बिना बिल के सोना बिकना
लखनऊ महानगर सराफा एसोसिएशन के महामंत्री एवं बंगला बाजार के कारोबारी मनीष वर्मा ‘बन्नू’ ने बताया कि एक जून से सोने के गहने लेने पर सभी खरीदारोें को जीएसटी भरना पड़ेगा। ऐसे में बिना बिल के सोना बिकना बंद हो जाएगा। हॉलमार्किंग कोड के जरिये गहने बेचने वाली फर्म का ब्योरा चंद समय में पता चल जाएगा। साथ ही इसकी भी जांच हो जाएगी कि कारोबारी ने पक्का बिल काटा है या नहीं।
सोना की शुद्धता को समझें
24 कैरेट 99.9 प्रतिशत
23 कैरेट 95.8 प्रतिशत
22 कैरेट 91.6 प्रतिशत
21 कैरेट 87.5 प्रतिशत
18 कैरेट 75.0 प्रतिशत
17 कैरेट 70.8 प्रतिशत
14 कैरेट 58.5 प्रतिशत