सभी सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले पांच फीसदी मरीजों की अनिवार्य रूप से टीबी के लक्षणों की जांच करनी होगी।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत यह नई व्यवस्था लागू होगी। शासन की ओर से जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) सहित सभी निजी अस्पताल के डॉक्टरों को निर्देश जारी किए गए हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एके चौधरी ने बताया कि टीबी को खत्म करने के लिए किए जा रहे प्रयास के तहत यह कदम उठाया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में यह जांच पूरी तरह से निशुल्क होगी।
निर्देश के अनुसार मरीज को लंबे समय से खांसी आने की शिकायत होने, वजन में गिरावट, बलगम से खून आने, चलते समय सांस फूलने आदि की शिकायत होने पर तुरंत टीबी की जांच कराई जाएगी।
डॉ. एके चौधरी ने बताया कि टीबी के इलाज में मरीजों का पंजीकरण जरूरी है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो टीबी के जीवाणु हवा में फैल जाते हैं।
संक्रमित हवा में सांस लेने से स्वस्थ व्यक्ति तथा बच्चे भी टीबी से संक्रमित हो सकते हैं। दस्तक अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बुखार के साथ टीबी के लक्षण वाले मरीजों की भी जानकारी जुटा रही हैं।