लखनऊ। बैंक हो या अन्य सरकारी कार्यालय वहां जमा होने वाले आधार कार्ड या अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों का रख-रखाव सही से नहीं किया जा रहा है। एक तय सीमा के बाद ऐसे दस्तावेजों को रद्दी में बेच दिया जाता हैं। वही कुछ बैंक कर्मी व अन्य लोग साइबर ठगों की मदद के लिए इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों के आधार पर तैयार डाटा साइबर जालसाजों को बेच रहे हैं। इसकी कीमत महज पांच से दस रुपये के बीच ही होती है। ठगी के इस कारोबार में थोक के भाव हजारों लोगों के डाटा एक झटके में बेचे जा रहे हैं। ऐसे गिरोह का एसटीएफ ने पर्दाफाश भी किया था जिसमें डाटा बेचने का काम एक महिला बैंककर्मी कर रही थी।
काफी समय से लोग साइबर जालसाजी से परेशान हैं। किसी के खाते से एटीएम क्लोनिंग कर रकम निकाली जा रही है तो किसी का पूरा डाटा ही हैक कर लिया जा रहा है। महत्वपूर्ण दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर लोन भी कराए जा रहे हैं लेकिन इसकी जानकारी असली खातेदार को नहीं रहती है। इस तरह की ठगी बैंक के अंदर के कर्मचारियों की मिलीभगत से हो रही है। बैंक के कर्मचारी ही साइबर जालसाजों को डाटा मुहैया करा रहे हैं।
महिला बैंककर्मी को एसटीएफ ने दबोचा था
हाल ही में एसटीएफ की टीम ने साइबर जालसाजी के मामले में एक महिला को गिरफ्तार किया था जो एक निजी बैंक में काम करती थी। वह साइबर अपराधियों को डाटा मुहैया कराती थी या फिर डाटा बैंक के सर्वर से चोरी किया जाता था। एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक, 9 फरवरी को दिल्ली के उत्तम नगर की निवासी शिल्पी नाम की महिला को गिरफ्तार किया गया था। उसके मोबाइल से 6,000 लोगों का डाटा भी मिला था। शिल्पी ने यह कुबूल किया था कि वह डाटा साइबर अपराधियों को उपलब्ध कराती है। शिल्पी ने पुलिस को बताया था कि डाटा बेचने में मोटा मुनाफा होता है। प्रति व्यक्ति के डाटा के लिए दस रुपये तक मिलते हैं। पुलिस के मुताबिक, शिल्पी एक निजी बैंक में जुलाई 2020 तक थर्ड पार्टी वेंडर के साथ सेल्स एग्जीक्यूटिव के पद पर काम करती थी।
बैंककर्मी शिल्पी ने किया था चौंकाने वाला खुलासा
शिल्पी ने पुलिस के सामने कुबूल किया था कि वह बैंक सेल्स एक्जीक्यूटिव के पद पर काम करती थी। इस दौरान शिल्पी काल सेंटर में काम करने वाले सलमान से मिली थी। सलमान ने ही उसे डाटा खरीदने व बेचने में मुनाफा कमाने की बात कही थी। वह तीन रुपये में एक व्यक्ति का डाटा लेती थी और साइबर अपराधियों को 10 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से डाटा बेचती थी। एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक कुमार सिंह के मुताबिक, ऐसे साइबर जालसाजों को डाटा उपलब्ध कराने वाले गिरोह की कुंडली खंगाली जा रही है। इसमें कुछ और बैंक कर्मियों के नाम भी सामने आ सकते हैं। जल्दी ही ऐसे बैंक कर्मियों को गिरफ्तार किया जाएगा।