कोरोना की सेकंड वेव का खतरा और अफसर बेखबर
दिल्ली में कोरोना की तीसरी तो अन्य शहरों में सेकंड वेव का असर दिखाई पड़ रहा है। राजधानी में भी पिछले छह दिनों से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
इसके मद्देनजर चिकित्सा संस्थान गंभीर मरीजों की इलाज की व्यवस्थाएं मुकम्मल करने में जुटे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि अभी ऐसी गुंजाइश कम है। यदि सेकंड वेव आई तो पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर से उसका मुकाबला करने में सक्षम हैं। नए स्तर पर कोई तैयारी नहीं की गई है।
राजधानी में करीब 68504 पॉजिटिव मरीज पाया जा चुके हैं। दीपावली के बाद से मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। बृहस्पतिवार को 310 मरीज थे तो शुक्रवार को यह संख्या 382 पहुंच गई।
इससे पहले नौ अक्तूबर को 409 मरीज मिले थे। इसके बाद मरीजों के ग्राफ लगातार गिरा और 15 नवंबर को 155 तक आ गया था, लेकिन 16 से फिर से ग्राफ में बढ़ोतरी शुरू हो गई थी।
इससे एक्टिव केस में भी इजाफा हुआ है। नवंबर में एक्टिव केस 3000 के आसपास रहा है, लेकिन तीन दिन से इसमें बढ़ोतरी के साथ 20 नवंबर को 3340 एक्टिव केस हो गए हैं।
लेकिन स्वास्थ्य विभाग सो रहा है। इतना जरूर है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद दो दिन से सैंपलिंग का आंकड़ा फिर से बढ़ाकर करीब 10 हजार कर दिया गया है।
लेकिन सेकंड वेव आने पर मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई तो प्रबंधन को लेकर कोई पुख्ता रणनीति अभी तक नहीं बनाई गई है। स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी भी खुद इसे स्वीकारते हैं।
कोरोना नियंत्रण के नोडल और एसीएमओ डॉ. ए राजा ने कहा कि दीपावली के बाद सैंपलिंग बढ़ने से मरीजाें का आंकड़ा बढ़ा है।
त्योहार के आसपास औसत सैंपलों की संख्या 5000 थी, जिसे दो दिन से 9 से 10 हजार के बीच लाया गया है। अभी दिल्ली जैसी स्थिति नजर नहीं आ रही है। रैंडम सर्वे में भी इसके लक्षण नहीं मिल रहे हैं।
यदि सेकंड वेव आई भी तो पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर बना हुआ है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को कुछ अलग से नहीं करना है। अस्पतालों में इलाज की सभी व्यवस्थाएं हैं।
छठ के बाद 5 दिन होंगे अहम,
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि छठ के बाद पांच दिन काफी अहम होंगे। क्योंकि छठ पूजा के दौरान होने वाली भीड़-भाड़ में जो लोग संक्रमित होंगे, उसका असर अगले पांच दिन में दिखेगा। राजधानी में 18 सितंबर को सर्वाधिक 1244 मरीज मिले थे। इस दिन संक्रमण की दर करीब 16 फीसदी थी। इसके बाद संक्रमण दर में गिरावट आई। 25 से 31 अक्तूबर के बीच 36736 सैंपल लिए गए, जिसमें 1805 पॉजिटिव के सामने आए। यानी यहां संक्रमण की दर 4.91 फीसदी की है। एक से 7 नवंबर के बीच संक्रमण की दर घटकर 3.10 पहुंची और 8 से 13 नवंबर के बीच यह दर 3.17 फीसदी रही। 14 से 17 नवंबर के बीच 20708 सैंपल लिए गए, जिसमें 948 पॉजिटिव केस मिले। यह दर 4.57 फीसदी की है। इस तरह देखा जाए तो दीपावली के बाद तीन दिन में ही संक्रमण की दर में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 18 से 20 के बीच में संक्रमण की दर 3.80 फीसदी बनी हुई है।
बाजार में भीड़भाड़ अधिक रहने से बढ़ी संक्रमण की दर
आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पीके गुप्ता ने बताया कि धनतेरस से लेकर दीपावली के बीच बाजार में भीड़भाड़ अधिक रहने से इन दिनों संक्रमण की दर बढ़ी है। तमाम ऐसे लोग हैं जो जांच के दायरे में नहीं आए। ऐसे में सिर्फ डाटा के आधार पर संक्रमण की दर का आंकलन नहीं किया जा सकता है। छठ पूजा पर भी भीड़ भाड़ बढ़ी है। कई लोग एक से दूसरे जगह पहुंचे हैं। शहर के लोग गांव में गए हैं और गांव के लोग शहर आए है। ऐसे में संक्रमण की दर बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता। छठ के बाद अगले पांच दिन अहम होंगे। यदि इन दिनों में मरीजों की संख्या नियंत्रित रही तो आगे हालात सामान्य स्तर पर बने रहने की उम्मीद है। क्योंकि भागदौड़ के बीच जो लोग संक्रमित हुए होंगे उनमें 4 से 6 दिन के बीच असर दिख जाएगा।
मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग से ही कोरोना से बचाव
केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि कोरोना को लेकर हर स्तर पर सावधानी बरतने की जरूरत है। त्योहार पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है तो मास्क का इस्तेमाल तो किया ही जा सकता है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग कोरोना को मात देने का सबसे सरल व सटीक तरीका है। जो भी लोग त्योहार मना रहे हैं, उन्हें लगातार मास्क लगाए रखना चाहिए। घर पहुंचने पर अच्छी तरह से साबुन से हाथ-पैर धुलने और कपड़े बदलने के बाद ही घर में प्रवेश करें। यदि परिवार में बुजुर्ग और बीमार लोग हैं तो पूजा स्थल से लौटने के बाद दो दिन तक उनसे दूरी बना कर रखें।