चालू वित्त वर्ष के बजट में घोषित कई योजनाओं को शुरू करने के लिए अगले बजट का इंतजार करना पड़ सकता है। शासन ने कई घोषित योजनाओं से जुड़े प्रशासकीय विभागों को पद सृजन, कार्ययोजना निर्माण जैसी कार्यवाही के लिए अगले वित्त वर्ष तक इंतजार करने को कह दिया है।
कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन की वजह से उत्पन्न आर्थिक संकट का असर कई योजनाओं पर पड़ा है। शासन ने 2020-21 के बजट में समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालयों के संचालन के लिए 7.85 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।
वित्त विभाग ने अब तक पद सृजन के प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी है। पालनहार योजना, कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केंद्र की स्थापना तथा जिला दिव्यांग केंद्र की स्थापना का एलान बजट में हुआ था। इन तीनों को अगले वित्त वर्ष में बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के लिए 2.64 करोड़ की बजट में व्यवस्था है। वित्त विभाग ने बजट का आधा हिस्सा ही इस वित्तीय वर्ष में जारी करने को कहा है। खाद्य सुरक्षा की अनुपलब्धता पर खाद्य सुरक्षा भत्ता की योजना तैयार की गई थी। लगातार खाद्यान्न वितरण की वजह से इसकी अब जरूरत नहीं मानी जा रही है।
इन योजनाओं पर भी असर
– केंद्र सरकार के सुगम्य भारत अभियान फेज-1 के अंतर्गत सरकारी कार्यालयों व जनोपयोगी भवनों को बाधारहित बनाया जाना है। इसके लिए बजट में 60 करोड़ का प्रावधान है। केंद्र सरकार ने योजना में 6.04 करोड़ ही दिए हैं। केंद्र से कोई अन्य राशि चालू वित्त वर्ष में मिलना मुश्किल है। ऐसे में बजट प्रावधान के बावजूद इस वित्त वर्ष में करीब 53.96 करोड़ के काम होने मुश्किल हैं।
– सरकार ने मूक-बधिर विद्यार्थियों के लिए संकेत जूनियर हाईस्कूल की स्थापना का एलान किया था। वित्त विभाग के निर्देश हैं कि अत्यंत आवश्यक व अपरिहार्य निर्माण कार्यों को ही इस वर्ष में शुरू किया जाए। विभाग ने इस निर्देश के बाद प्रोजेक्ट को चालू वित्तीय वर्ष में प्रारंभ करने की अपरिहार्यता नहीं मानी है। प्रोजेक्ट के लिए भूमि की उपलब्धता भी नहीं हो पाई है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में इस पर 4 करोड़ रुपये खर्च न करने की योजना है।
– जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र के लिए 40 करोड़ की व्यवस्था है। परियोजना पर आगे कार्य कराया जाना है या नहीं, इसका निर्णय अब इस संबंध में गठित समिति को करना है।
– पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के लिए 114.50 करोड़ के कार्य प्रस्तावित थे। यह काम मनरेगा से करा दिया गया। अब यह बजट खर्च करने की जरूरत ही नहीं रही।
इन योजनाओं पर भी पड़ेगा प्रभाव
– वैज्ञानिक खेती एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाव प्रबंधन तथा जैव उर्वरक उत्पादन प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण, जैव उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 4.06 करोड़ प्रावधानित है। इसकी कार्ययोजना अभी तक स्वीकृत नहीं है।
– नाबार्ड सहायतित इंटीग्रेटेड रेन वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के लिए 100 करोड़ का प्रावधान है। यह भी नाबार्ड व वित्त से अनुमोदित नहीं है।
– खाद्य विभाग में जिला शिकायत निवारण कार्यालय के गठन के लिए बजट का प्रावधान है। इस वर्ष इसका क्रियान्वयन मुश्किल है।
– एससीईआरटी की 285 करोड़ की एक योजना के क्रियान्वयन में मुश्किल है। केंद्र से अनुमोदित पूर्ण अनुदान न मिलने से ऐसी स्थिति आ सकती है।
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