शासन ने ग्राम सभा की सार्वजनिक उपयोग की भूमि से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई के लिए सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को नए सिरे से निर्देश दिए हैं। अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार ने कहा कि यदि कब्जा हटाने के बाद फिर से कब्जा किया जाता है तो अतिक्रमणकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए।
प्रदेश में समय-समय पर अभियान चलाने के बावजूद खलिहान, तालाब व चारागाह आदि पर अवैध कब्जे की शिकायतें आ रही हैं। कई मामले हाईकोर्ट भी पहुंच रहे हैं। कई मामलों में कोर्ट के आदेश के बावजूद कब्जा बेदखली की कार्रवाई नहीं की गई। कई बार कोर्ट में मामला लंबित होने के आधार पर कब्जा नहीं हटाया जाता, जबकि कब्जा न हटाने का कोर्ट से आदेश भी नहीं होता। इसी तरह कब्जा हटाने के बाद फिर से कब्जे के मामले आ जाते हैं। शासन ने इन स्थितियों को गंभीरता से लिया है।
अपर मुख्य सचिव ने अफसरों को निर्देश दिए कि सहायक कलेक्टर के स्तर से पारित बेदखली के आदेशों के अनुसार मौके पर वास्तविक रूप से अतिक्रमणकर्ता को बेदखल किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उस भूमि पर फिर अवैध अतिक्रमण न होने पाए। यदि सक्षम न्यायालय ने स्थगनादेश नहीं दिया है तो उसका लाभ अतिक्रमणकर्ता को नहीं मिलना चाहिए। यदि न्यायालय का स्थगनादेश है तो वाद की पैरवी कर स्थगनादेश को खारिज कराकर मौके से अतिक्रमण हटाया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि नियमानुसार बेदखल किए जाने के बाद अगर फिर अवैध कब्जा किया जाता है तो ऐसे लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए। पुन: अवैध कब्जा करने पर तीन महीने से लेकर दो वर्ष तक जेल और 3000 रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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