लखनऊ। कठौता चौराहे पर हुई गैंगवार में घायल शूटर का इलाज करने वाले लखनऊ के डॉ. निखिल सिंह और सुल्तानपुर के डॉ. एके सिंह के खिलाफ पुलिस को सूचना न देने के आरोप में कार्रवाई की गई है। पुलिस अफसरों ने बताया कि डॉक्टरों को पता था कि शूटर के गोली लगी है। दोनों को को बाहुबली पूर्व सांसद ने फोन कर उपचार करने के लिए कहा था। इसके बाद भी उन्होंने पुलिस को सूचना नहीं दी। चूंकि, डॉक्टरों का अपराध असंज्ञेय है, इसलिए उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि हत्या करने वाले के गोली से घायल होने पर डॉक्टर को उसका इलाज करना चाहिये या नहीं? इसे लेकर असमंजस था। मेडिकल काउंसिल से सलाह के बाद तय हुआ कि चिकित्सा धर्म के मुताबिक भले ही घायल किसी की हत्या करके आया हो, डॉक्टर को उसकी जान बचानी चाहिए। हालांकि, अपना काम करने के बाद उसे पुलिस को इसकी सूचना भी देनी चाहिए।
अजीत हत्याकांड में घायल शूटर का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने अपनी जिम्मेदारी तो निभाई, पर पुलिस को सूचना नहीं दी। ऐसे में दोनों पर आईपीसी की धारा 176 के तहत कार्रवाई की गई है। इसमें अपराध होने की जानकारी के बाद हर व्यक्ति सरकारी अधिकारी या पुलिस को सूचना देने के लिए बाध्य है। ऐसा न करने पर एक महीने की सजा या 500 रुपये जुर्माना या दोनों का प्राविधान है। धारा 176 असंज्ञेय और जमानती अपराध है, इसलिए पुलिस ने चिकित्सकों के खिलाफ औपचारिक कार्रवाई करते हुए उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया है।
कार्रवाई की जानकारी से दिनभर फोन करते रहे सिफारिशी
दोनों चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी मिलते ही दिनभर सिफारिशी फोन आते रहे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सोमवार रात ही दोनों की भूमिका स्पष्ट होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई का खाका तैयार हो गया था। चूंकि डॉक्टरों के परिवार से आईएएस और आईपीएस अधिकारी जुड़े हैं, इसलिए कमिश्नरेट पुलिस पर दबाव डालने का प्रयास किया गया। सूत्रों ने बताया कि एक डॉक्टर के आरएसएस के कुछ बड़े पदाधिकारियों से करीबी रिश्ते हैं, इसलिए वहां से भी दबाव डलवाया गया।