नगर निगम में लगीं कार्यदायी संस्थाएं कर्मचारियों के वेतन भुगतान से लेकर उनके ईपीएफ और ईएसआई देने तक में धांधली कर रही हैं। अब उन पर जांच का शिकंजा करने वाला है।
स्मार्ट सिटी कंपनी में कार्यरत एक कार्यदायी संस्था के खिलाफ जांच और कार्रवाई को लेकर स्मार्ट सिटी कंपनी के महाप्रबंधक की ओर से श्रम विभाग को पत्र भी भेजा गया है।
मालूम हो कि नगर निगम से लेकर स्मार्ट सिटी कंपनी तक पचास से अधिक कार्यदायी संस्थाएं कई विभागों में काम करती हैं।
नगर निगम में सबसे अधिक करीब सात हजार कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग में कार्यदायी संस्थाओं के जरिए लगे हैं।
इसके अलावा मार्ग प्रकाश, उद्यान, केयर टेकर आदि विभागों में भी करीब तीन हजार कर्मचारी अलग-अलग आउट सोर्सिंग एजेंसियों के जरिए लगे हैं।
जिन पर हर साल करीब 80 करोड़ रुपये का भुगतान नगर निगम करता है, ज्यादातर एजेंसियां प्रभावशाली लोगों और नगर निगम से जुड़े कर्मचारियों, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के करीबियों की हैं।
यह है मामला
स्मार्ट सिटी कंपनी के महाप्रबंधक की ओर से सहायक श्रमायुक्त को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि कमांड कंट्रोल सेंटर में कर्मचारियों को उपलब्ध कराने वाली निजी आउट सोर्सिंग एजेंसी कई तरह की अनियमितता कर रही है। एजेंसी श्रम विभाग द्वारा तय वेतन कर्मचारियों को नहीं दे रही है। कर्मचारियों ने इसकी शिकायत की है। वेतन देने में शोषण किया जा रहा है और सही भुगतान मांगेने पर कार्यमुक्त करने की धमकी दी जाता है। एजेंसी ईपीएफ और ईएसआई की भी जानकारी नहीं दे रही है।