जाली ले-आउट बना एलडीए की जमीन पर बेच दिए चार भूखंड
प्रियदर्शिनी योजना में खाली जमीन का ले-आउट बनाकर चार भूखंड आवंटित कर देने का नया केस सामने आया है। यही नहीं कंप्यूटर रिकॉर्ड में भी इन भूखंडों को दर्ज कर दिया गया और रजिस्ट्री भी हो गई।
जब एक भूखंड पर निर्माण शुरू हुआ तो मामले का पता चला। इसमें एलडीए से बर्खास्त दिवंगत बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा का नाम आ रहा है।
मामले की शिकायत सीतापुर निवासी पीड़ित सत्येंद्र शुक्ला ने एलडीए वीसी से की है। उनका कहना है कि बाबू को 18 लाख एडवांस देकर प्रियदर्शिनी योजना में भूखंड 1/57 खरीदा था।
रजिस्ट्री की बात को बाबू टाल देता था। पिछले सप्ताह भूखंड पर निर्माण शुरू हुआ तो पता चला कि इसकी रजिस्ट्री किसी अमर सिंह को कर दी गई है।
इस रजिस्ट्री का कोई रिकॉर्ड रजिस्ट्रार कार्यालय में नहीं मिला। वहीं, एलडीए का कहना है कि इस भूखंड का कोई ले-आउट ही नहीं बना है।
इसके अलावा तीन और भूखंड वहां बाबू ने इसी तरह बेचे थे। इनकी भी रजिस्ट्री फर्जी तरीके से की गई। बाबू के रजिस्ट्री कराने या पैसा लौटाने की बात नहीं मानने पर इसी साल जनवरी में एफआईआर भी कराई गई थी।
हाईटेंशन लाइन का पोल हटने से खाली हुई थी जमीन
हाईटेंशन लाइन का पोल हटाए जाने से खाली हुई जमीन पर ये चार भूखंड काटे गए थे। इस पर एलडीए ने कोई नियोजन नहीं किया। इंजीनियर्स ने भी बाबू के बनाए जाली ले-आउट को मानकर लोगों को कब्जा भी दे दिया।
बाबू की मौत से फंसीं 350 फाइलें
पूर्व वीसी प्रभु एन सिंह ने 350 से अधिक फाइलों के गायब होने के चलते बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा पर एफआईआर कराई थी। यही नहीं बाबू को पुलिस को सौंपकर बर्खास्त कर दिया था। बाबू के नजदीकी एलडीए के कर्मचारियों ने बताया कि पांच दिन पहले हार्ट अटैक से उसकी मौत हो चुकी है। राजधानी में ही दाह संस्कार किया गया।
फाइलों का मिलना मुश्किल
संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने बताया कि बाबू की मौत के बाद फाइलों का मिलना मुश्किल हो जाएगा। प्रियदर्शिनी के इन चार भूखंडों की जांच कराई जाएगी। ताकि बाकी दोषियों को सजा मिल सके और एलडीए की जमीन को बचाया जा सके।