केजीएमयू में यूपी एएस आईकॉन 2020 की शुरुआत
एसजीपीजीआई के इंडो क्रोनोलॉजी सर्जरी विभाग के प्रो. ज्ञानचंद ने बताया कि इंडोस्कोपिक तकनीक से अब पैरा थायरॉइड की सर्जरी काफी आसान हो गई है। इससे गले पर निशान नहीं पड़ते हैं। एसजीपीजीआई में इसकी शुरुआत हो गई है। शुरुआती नतीजे बेहतर मिले हैं। अभी तक यह सर्जरी ओपन तकनीक से की जा रही थी। वह केजीएमयू में आयोजित यूपी एएस आईकॉन 2020 को संबोधित कर रहे थे।
प्रो. ज्ञानचंद ने बताया कि थायराइड ग्रंथि के बगल में मौजूद पैरा थायराइड ग्रंथियों के जरिए कैल्शियम का नियंत्रण होता है। यह काफी छोटी होती हैं। यहां ट्यूमर बनने की स्थिति में अभी तक ओपन सर्जरी ही की जाती रही है। लेकिन अब इंडोस्कोपिक तकनीक से इसकी सर्जरी होने लगी है। इसमें खर्च भी ओपन सर्जरी के बराबर ही आ रहा है। इस दौरान उन्होंने बायलेटरल एक्सिलों ब्रेस्ट अप्रोच (बाबा) इंडोस्कोपिक का भी जिक्र किया।
इससे पहले केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि कोविड महामारी काल में हर व्यक्ति को सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। आयोजन सचिव प्रोफेसर सुरेश कुमार ने बताया कि सर्जरी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. टीसी गोयल ने सर्जरी की किताबें हिंदी में लिखने पर जोर दिया। डॉ. अभय दलवी (एएसआई, उपाध्यक्ष) ने सर्जिकल शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डाला। डॉ. अली जमीर खान ने वीडियो असिस्टेड थोरैसिक सर्जरी, डॉ. राजीव सिन्हा ने वेंट्रल हर्निया पर अतिथि व्याख्यान दिया। एसजीपीजीआई के डॉ. वीके कपूर ने पित्ताशय की बीमारियों और डॉ. अनीश श्रीवास्तव ने गुर्दा पथरी रोग के सर्जिकल प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में जनरल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव ए सोनकर ने गॉल ब्लैडर कैंसर के उपचार पर व्याख्यान दिया।
नवजात के मुंह में दूध न जाए तो चिकित्सक को दिखाएं
यदि नवजात के मुंह से लार लगातार बाहर निकल रहा है और वह दूध नहीं पी पा रहा है तो तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए। संभव है कि उसका आहार नाल पूरी तरह से विकसित ना हो पाया हो। इसी तरह से बच्चे के जन्म के बाद यह देखा जाना चाहिए कि उसके दस्त का रास्ता बना है कि नहीं। न होने पर सुपर स्पेशियलिटी वाले अस्पताल में चिकित्सक को दिखाना चाहिए। सर्जरी करके इस अंग को भी ठीक किया जा सकता है।
– प्रो. जेडी रावत, पीडियाट्रिक सर्जन केजीएमयू
इंटीग्रेटेड सर्जरी क्लीनिक की जरूरत
मरीजों की परेशानी को कम करने के लिए सभी स्पेशियलिटी एक्सपर्ट मिलकर इंटीग्रेटेड सर्जरी क्लीनिक की शुरुआत करें। इससे मरीज के ऑपरेशन से जुड़े फैसले एक ही क्लीनिक में हो सकेंगे। टीम वर्क में ऑपरेशन के परिणाम भी बेहतर मिलेंगे।
– प्रो. एचएस पहवा, अध्यक्ष सर्जन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, यूपी चैप्टर
फेफड़े की सर्जरी की नई तकनीकें
फेफड़े की सर्जरी को लेकर लगातार नई तकनीक विकसित हो रही हैं। अभी तक टीबी और फेफड़े के कैंसर के मरीजों की ओपन सर्जरी करनी पड़ती थी, लेकिन अब जरूरत के मुताबिक दूरबीन विधि से भी यह सर्जरी संभव हो रही है। करोना कॉल में फेफड़े के मरीजों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इससे ध्यान में रखकर सर्जरी की नई तकनीक विकसित करने पर भी मंथन किया जा रहा है।
– प्रो. सुरेश कुमार, आयोजन सचिव केजीएमयू
डॉक्टर एके सिंह, डॉ. अवनीश को सम्मान
कार्यशाला के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ एके सिंह को प्रख्यात वरिष्ठ सर्जिकल शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. अवनीश कुमार को उत्कृष्ट युवा शिक्षक पुरस्कार मिला तथा डॉ. अजय कुमार पाल को टीपी बनर्जी पुरस्कार प्रदान किया गया।