इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा है कि पेंशन संबंधी नियम लाभकारी विधायन (कानून) हैं। लिहाजा जहां दो अर्थ निकलने संभव हों, वहां इनकी व्याख्या उदारतापूर्वक की जानी चाहिए। कोर्ट ने सरकारी कर्मियों के हित वाली इस विधि व्यवस्था के साथ आईआईएम लखनऊ के रिटायर्ड निदेशक प्रो. देवी सिंह को नियमित पेंशन बहाल करने समेत मय ब्याज के एरियर भुगतान का आदेश दिया।
याची ने आईआईएम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के 25 जून, 2019 के उस आदेश को रद्द करने की गुजारिश की थी, जिसके तहत उन्हें पेंशन व एरियर पाने के अयोग्य करार देते हुए रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की अदालत ने कहा कि यह निर्विवाद है कि रिटायर होने के बाद याची को पेंशन मिल रही थी। एक ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर पेंशन रोक दी गई। बतौर निदेशक के सेवाकाल में दो बार में 28 दिन के ब्रेक की वजह से संबंधित नियमों का हवाला देकर एरियर देने से भी मना कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि चूंकि पेंशन नियम लाभकारी विधायन हैं। लिहाजा जहां इनकी दो तरह से व्याख्या संभव हो, वहां इनकी व्याख्या जानी चाहिए।