कोरोना संक्रमण को देखते हुए बसपा के संस्थापक कांशीराम की 15 मार्च को मनाई जाने वाली जयंती इस बार लखनऊ के बजाय सभी मंडल मुख्यालयों पर मनाने का फैसला किया गया है। जयंती समारोह में संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कांशीराम के बीएसपी मुवमेंट के संबंध में खास तौर पर चर्चा की जाएगी। पार्टी प्रमुख मायावती ने लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल पर आयोजित किए जाने वाले जंयती कार्यक्रम में सिर्फ लखनऊ, कानपुर और अयोध्या मंडल के कार्यकर्ताओं को आने का निर्देश दिया है। जबकि मेरठ मंडल के लोगो को नोएडा स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर कार्यक्रम में शामिल होने को कहा गया है। जबकि शेष मंडल मुख्यालयों पर ही संगोष्ठी का आयोजन कर जयंती मनाने को कहा गया है।
पार्टी के प्रदेश कार्यालय की ओर से जारी बयान में यह जानकारी दी गई है। कांशीराम के जयंती कार्यक्रमों में आयोजित संगोष्ठियों में कांशीराम द्वारा बीएसपी मूवमेंट को खड़ा करने के दौरान पेश आने वाली चुनौतियों आदि की कड़वी वास्तविकताओं की चर्चा होगी। साथ ही पार्टी समर्थकों को वर्तमान में इस मिशन के समक्ष उत्पन्न जटिल परिस्थितियों का सामना करने के लिए जागरूक भी किया जाएगा। इसके अलावा मायावती द्वारा 5 फरवरी से जिलेवार शुरू की गई पहले दौर की सांगठनिक व चुनाव की तैयारियों की समीक्षा बुधवार को समाप्त हो गई है। इस दौरान प्रदेश केसभी 18 मंडल व 75 जिलों के पदाधिकारियों नें अपनी-अपनी कमेटियों की गतिविधियों के संबंधित रिपोर्ट बसपा प्रमुख को सौंप दी है।
मायावती ने समीक्षा बैठकों में पंचायत चुनावों की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा है कि अगर निष्पक्षता से चुनाव हुआ तो यह भाजपा को महंगा पड़ सकता है, क्योंकि सरकार के प्रति आमजन में काफी आक्रोश है। उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर पंचायत चुनाव में बसपा को एक मजबूत विकल्प के रूप में लाने के लिए काम करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार, आम जनता, समाज व देशहित को भी त्याग कर, अपने विरोधियों को कुचलने में लगी हुई है, जो लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।