दिमागी बुखार का कारण बन रही जेई-एईएस बीमारियों के इलाज के लिए सरकारी डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में दो साल के डिप्लोमा इन चाइल्ड हेल्थ (डीसीएच) पाठ्यक्रम के लिए प्रांतीय सेवा संवर्ग के डॉक्टरों से आवेदन मांगे गए हैं।
प्रशिक्षण के बाद जेई-एईएस प्रभावित जिलों में पांच साल सेवा करना अनिवार्य होगा। वर्ष 2021-23 के लिए 20 डॉक्टरों का इस पाठ्यक्रम के लिए चयन होना है। महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए डॉक्टरों की तीन साल की गोपनीय रिपोर्ट भी साथ में देनी होगी।
तीन साल की ग्रामीण सेवा की जानकारी देनी होगी। निदेशक संचारी रोग के पास डॉक्टरों को आवेदन करना होगा। चयन के लिए डॉक्टर को 10 रुपये के स्टांप पेपर पर लिखकर देना होगा कि वह प्रशिक्षण के बाद पांच साल जेई-एईएस प्रभावित जिलों में ही कार्य करेगा। यदि किसी कारण से उसका तबादला हो जाता है तो उसे अपने अधिकारी को पांच साल सेवा देने के शपथ पत्र की जानकारी देनी होगी।