मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि एसजीपीजीआई जनरल ओपीडी शुरू करे। सुरक्षा मानक ध्यान में रखकर मरीजों का इलाज करने से कोरोना को लेकर बना भय का माहौल कम होगा। जिला अस्पताल और प्राइवेट अस्पतालों ने जनरल ओपीडी शुरू कर दी है। ऐसे में पीजीआई को पीछे नहीं रहना चाहिए। डॉक्टर आगे आएंगे तो दूसरी व्यवस्थाएं भी पटरी पर आ जाएंगी। सीएम एसजीपीजीआई के 35वें स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने एसजीपीजीआई के संकाय सदस्यों के एम्स के बराबर मानदेय सहित अन्य सुविधाओं को लेकर लगातार की जा रही मांग पर सवाल उठाया। कहा कि एसजीपीजीआई की स्थापना का उद्देश्य है कि वह शोध और मरीजों के इलाज सहित सभी चिकित्सकीय मामले में आगे चलेगा। उसे एम्स का पिछलग्गू नहीं बनना चाहिए। एसजीपीजीआई के सामने इसलिए भी चुनौतियां बढ़ गई हैं, क्योंकि 2021 में एम्स रायबरेली और एम्स गोरखपुर पूरी तरह से सक्रिय हो जाएंगे। ऐसे में एम्स से प्रतिस्पर्धा लेने के लिए अभी से रणनीति बनानी होगी। कहा कि बीएचयू सहित कई संस्थान भी विकसित हो रहे हैं। ऐसे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट सहित अन्य सुपर स्पेशिएलिटी की तैयारियां पूरी कर मरीजों को राहत देने के लिए आगे आना होगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2017 से 20 के बीच 30 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित हो रहे हैं। ऐसे में एसजीपीजीआई को वरिष्ठता बनाए रखने के लिए शोध में क्या बेहतर कर सकते हैं, इस पर विचार करना होगा। कहा कि कोरोना काल में एसजीपीजीआई ने वर्चुअल आईसीयू का संचालन कर दूसरे अस्पतालों को गंभीर मरीजों के इलाज में मदद की है। सभी की संयुक्त भागीदारी से वायरस से लड़ने में कामयाबी मिली और डब्ल्यूएचओ ने यूपी मॉडल की तारीफ की। कहा कि उम्मीद है कि जल्द वैक्सीन आ जाएगी और वायरस के खात्मे को चलाए अभियान सफल साबित होंगे। उन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई को आयुष्मान सहित अन्य सरकारी योजनाओं में भी शामिल होना चाहिए।
1800 बेड का सपना साकार करें
चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि एसजीपीजीआई की स्थापना के समय तय हुआ था कि यहां 1800 बेड पर इलाज मिलेगा। अभी यहां करीब 900 बेड पर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। यहां पूरे प्रदेश से मरीज आते हैं। ऐसे में मरीजों से आत्मीय संबंध भी रखें, ताकि एसजीपीजीआई का यश बना रहे।