गुजरात में आयशा की खुदकुशी से दुखी इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने शुक्रवार को ऐशबाग स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज से पहले खुतबे में मुसलमानों से दहेज की मांग करने वालों का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की।
साथ ही उन्होंने निकाह पढ़ाने वाले काजियों से गुजारिश की कि वह निकाह का खुतबा पढ़ाने से पहले यह यकीन कर लें कि इस शादी में दहेज की मांग तो नहीं की गई है। मौलाना ने दहेज को गैर इस्लामी और एक जुर्म करार दिया। इसी तरह शहर की कई अन्य मस्जिदों में भी जुमे के खुतबे में दहेज रहित शादियां करने की अपील की गई।
मौलाना ने कहा कि कहा कि इस्लामी शरीअत की नजर में निकाह इबादत है और बंदों के बीच संबंध भी। रसूल पाक ने निकाह को अपनी और तमाम नबियों की सुन्नत करार दिया है और अकेले की जिंदगी को नापसंद फरमाया है। उन्होंने कहा कि मस्जिद में मौजूद मुसलमान इस बात का वादा करें कि शादी में न तो दहेज लेंगे और न दहेज देंगे। दहेज लेना इस्लामी शरीअत के खिलाफ होने के साथ ही जुर्म है। कानून में दहेज की मांग करने वाले को सात साल या उम्र कैद की सजा सुनाई जा सकती है।
उन्होंने मस्जिदों के इमाम से अपील की कि शादी कराने से पहले मुस्लिम नौजवानों की काउंसिलिंग करें। उनको निकाह, शौहर-बीवी के अधिकारों से संबंधित इस्लामी आदेश व शरई हिदायतों को बताएं। अगर न समझे तक उनका सामाजिक बहिष्कार करें। इसी तरह खदरा, डालीगंज, नक्खास, अमीनाबाद, मौलवीगंज, रकाबगंज आदि इलाकों में मस्जिदों में जुमे के खुतबे में दहेज को खत्म करने का आह्वान किया गया।