नौ माह से लापता बेटी थाने में मां को सामने देखते ही उनसे चिपक कर रोने लगी। मां-बेटी के इस भावुक मिलन को देख वहां उपस्थित सभी की आंखें नम हो गईं।
प्रभारी निरीक्षक थाना परसपुर सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि 13 अक्तूबर को ग्राम भौरीगंज में भटकते हुए एक लड़की मिली। पूछताछ में पता चला कि युवती की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। थाने के एसआई अंकित सिंह जब वहां पहुंचे तो लड़की के हाथ में आधी रोटी व दुपट्टे में 10 रुपये बंधा था। उसे थाने पर लाया गया। थाने के बाल कल्याण अधिकारी एसआई उमेश वर्मा ने उसे जनपद के बाल कल्याण अधिकारी के यहां ले गए। उसकी उम्र की जानकारी के लिये उसे सदर अस्पताल ले जाया गया।
जहां 18 से 19 वर्ष के बीच उसकी उम्र बताई गई। पुन: उसे ले जाने पर जनपद के बाल कल्याण अधिकारी ने कहा कि लड़की के बालिग होने पर हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां ले जाने पर कहा गया कि जिसमें मुकदमे लिखे होते हैं उसमें ही कार्रवाई की जा सकती है। हर जगह से थक हार कर उसे एसपी के यहां ले जाया गया। उन्होंने पहल कर डीएम से बात की।
डीएम ने एसडीएम करनैलगंज को फोन किया। जिस पर लड़की को उपचार के लिये मेडिकल कॉलेज लखनऊ के लिये आदेशित किया। थाने से एसआई अंकित सिंह महिला कांस्टेबिल के साथ उसे मेडिकल कॉलेज ले गए। लेकिन वहां शर्त रखी गई कि जब तक इसके साथ पुलिस नहीं रहेगी, इसका इलाज नहीं किया जाएगा। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि थाने से दो महिला कांस्टेबिल आराधना, कल्पना, कंचन व शिल्पा का दिन-रात में ड्यूटी लगाई गई। एक हफ्ता वहां एसआई अंकित सिंह भी रहकर जरूरी मेडिकल जांच कॉलेज व बाहर अपने खर्चों पर करवाया। जिसके आधार पर लड़की का इलाज शुरू हुआ।
प्रभारी निरीक्षक के मुताबिक मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग के हेड ऑफ डिपारमेंट डॉ. पीके दलाल ने बताया कि इससे ज्यादा अब इसका इलाज नहीं हो सकता। लड़की से कई बार पूछताछ करने पर वह केवल अपना नाम ही बता पा रही है। शनिवार को डिस्चार्ज के बाद थाना लाने पर उससे भोजपुरी भाषा मे पूछताछ की गई। तब सारी बातें उसने बताई। पिता का नाम बताया। इस आधार पर उक्त थाना से संपर्क कर व्हाट्सएप पर लड़की की फोटो भेज उसके परिजनों को दिखाया गया। परिजनों ने उसको पहचाना।
रविवार को लड़की की मां सहित पांच लोग थाने पर आए। लड़की को सामने लाने पर मां व पुत्री काफी देर तक चिपक कर रोती रहीं। जिससे वहां उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गयीं। मां ने बताया कि उसके पति मुंबई में रहते हैं। काफी खोजबीन के बावजूद उसका पता नहीं चल सका था। परसपुर थाने की पुलिस हमारे लिये फरिश्ते के समान है। इस थाने के स्टाफ व बड़े साहब ने बहुत मेहनत की है। इनका एहसान व मेहरबानी मैं जिंदगी भर मानूंगी। पुलिस के इस कार्य की क्षेत्र में काफी प्रशंसा हो रही है।