उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर परियोजना का भविष्य अब उपभोक्ता ही तय करेंगे। इन मीटरों में खामियां मिलने के बाद प्रदेश में इसे लगाने पर रोक लगी है। उधर, पावर कॉर्पोरेशन उपभोक्ताओं से अब इन मीटरों पर फीडबैक ले रहा है। इस तरह राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट मीटर परियोजना पर ग्रहण लग गया है। इसकी वजह है, मीटरों में खामियां सामने आने के बावजूद अधिकारी मीटर आपूर्तिकर्ता कंपनियों पर शिकंजा कसने के बजाय उसे संरक्षण देने में लगे रहे। अब सारी जिम्मेदारी उपभोक्ताओं पर डाल दी गई है।
प्रदेश में स्मार्ट मीटरों पर लंबे समय से विवाद चल रहा है, लेकिन 12 अगस्त को जन्माष्टमी के मौके पर स्मार्ट मीटर वाले लाखों उपभोक्ताओं की बत्ती गुल होने के मामले ने ज्यादा तूल पकड़ लिया। मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री व राज्य विद्युत नियामक आयोग तक ने इसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए। मगर, कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पावर कॉर्पोरेशन से लेकर बिजली कंपनियों तक ने स्मार्ट मीटर की खामियों को नजरअंदाज कर आपूर्तिकर्ता कंपनियों को बचाने में जुटे रहे। इसलिए ऊर्जा मंत्री ने स्मार्ट मीटरों पर सीधे उपभोक्ताओं से ही फीडबैक लेने का आदेश जारी कर दिया।
कई सौ गुना तेज चलते मिले थे स्मार्ट मीटर
प्रदेश में वर्ष 2018 में स्मार्ट मीटर लगने शुरू हुए थे। इसके साथ ही राजधानी में इसके तेज चलने की शिकायतें आने लगीं। इस पर उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग से इसकी जांच कराने के अनुरोध किया था। तब पावर कॉर्पोरेशन के निर्देश पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने वर्ष 2019 में स्मार्ट मीटर वाले किन्हीं दो उपभोक्ताओं के परिसर में चेक मीटर लगाकर परीक्षण करने का आदेश दिया।
लेसा के अपट्रॉन व ठाकुरगंज उपकेंद्र के अंतर्गत पांच उपभोक्ताओं के घर पर स्मार्ट मीटर के समानांतर चेक मीटर लगवाकर जांच कराई गई। इसमें पता चला ठाकुरगंज में तीन उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर कई सौ गुना तेज चल रहे थे। यही नहीं, इन सभी उपभोक्ताओं का भार कई गुना अधिक पाया गया। मगर बिजली अधिकारी मीटर आपूर्तिकर्ता कंपनी पर कार्रवाई करने के बजाय उनकी पैरवी में लगे रहे।
सीपीआरआई की जांच में भी स्मार्ट मीटर फेल
भार जंपिंग की शिकायतें मिलने पर कुछ स्मार्ट मीटरों को जांच के लिए सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीआरआई) भेजा गया था। जहां ये मीटर मानकों पर खरे नहीं पाए गए। कुछ मीटरों की जांच रिपोर्ट पहले ही आ जाने के बावजूद अधिकारी उसे दबाए रहे। इस पर पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने अब संबंधित अभियंताओं से जवाब तलब किया है।
बिजली बिल समय से न मिलने की शिकायत
स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को समय से रीडिंग आधारित बिल नहीं मिल पा रहे हैं। इसी साल अक्तूबर में लखनऊ, अलीगढ़, मथुरा, वृंदावन, बाराबंकी, बरेली, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, मेरठ व सहारनपुर के 29,469 स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के बिल समय पर नहीं बन सके।
सूत्रों का कहना है कि पुरानी तकनीक के 2जी व 3जी के स्मार्ट मीटरों में ये समस्या आ रही है, लेकिन अधिकारी इसे अपग्रेड कराने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। वहीं, उपभोक्ताओं की यह भी शिकायत है कि पैसा जमा होने के बाद भी बकाये पर उनका कनेक्शन काट दिया जाता है। इस तरह की कई शिकायतें राज्य विद्युत नियामक आयोग में भी विचाराधीन हैं।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना है कि स्मार्ट मीटर को लेकर मिल रही शिकायतों पर पावर कॉर्पोरेशन व बिजली कंपनियों के अधिकारियों ने सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं की। इससे महत्वाकांक्षी परियोजना प्रभावित हो रही है। उपभोक्ताओं से फीडबैक मिलने के बाद उनके हितों का ध्यान रखते हुए स्मार्ट मीटर पर निर्णय किया जाएगा।
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