कोवाक्सीन और कोविशील्ड की क्षमता का पता लगाने के लिए एसजीपीजीआई ने नए सिरे से अध्ययन शुरू किया है। वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के 28 दिन बाद सैंपल लिया जाएगा। जांच के दायरे में हेल्थ वर्कर के साथ दूसरे लोगों को भी शामिल किया जाएगा। इसकी कवायद शुरू हो गई है।
राजधानी सहित पूरे प्रदेश में हेल्थ वर्कर, फ्रंट लाइन वर्कर और 60 पार वाले लोगों व 45 साल से अधिक उम्र के बीमार लोगों का टीकाकरण हो रहा है। इसमें हेल्थ वर्कर को दूसरी डोज दी जा चुकी है।
प्रदेशवासियों को लगने वाली वैक्सीन की क्षमता के बारे में एसजीपीजीआई ने अध्ययन करने की योजना बनाई है। इसके तहत वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के 28 दिन बाद उनकी जांच की जाएगी। इस दौरान देखा जाएगा कि टीकाकरण कराने वाले कितने लोगों में एंटीबॉडी बनी है। टीकाकरण कराने वाले करीब 600 लोगों में एंटीबॉडी के स्तर पर भी अध्ययन किया जाएगा। किन लोगों में टीकाकरण होने के बाद ज्यादा एंटीबॉडी बनी और किन लोगों में कम, इस पर भी अध्ययन किया जाएगा। उम्र के हिसाब से भी वैक्सीन के असर को जांचा जा सकेगा। ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के डॉ. अनुपम वर्मा ने बताया कि इस अध्ययन के जरिए वैक्सीन की क्षमता का अंदाजा लगाया जाएगा। जिन लोगों में एंटीबॉडी कम बनी, इसके कारणों को भी तलाशा जाएगा।
अभी हर स्तर पर सावधानी
टीकाकरण के बाद वैक्सीन की स्थिति के बारे में अध्ययन किया जा रहा है। इससे वास्तविक स्थिति से वाकिफ हुआ जा सकेगा, लेकिन अभी हर स्तर पर सावधानी बरतने की जरूरत है। टीकाकरण कराने के बाद भी बिना मास्क रहना खतरनाक है।
– डॉ. उज्ज्वला घोषाल, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, एसजीपीजीआई