लखनऊ। अजीत सिंह हत्याकांड के आरोपी गिरधारी की मुठभेड़ में मौत के मामले में शनिवार दोपहर राजधानी पुलिस ने घटना का नाट्य रूपांतरण किया। इस दौरान फॉरेंसिक टीम मौजूद रही। घटना के री-क्रिएशन की वीडियोग्राफी भी की गई। री-क्रिएशन के दौरान दिखाया गया कि विभूतिखंड पुलिस गिरधारी को लेकर असलहा बरामदगी के लिए जा रही थी। इसी दौरान उसने पास में बैठे दरोगा की सर्विस पिस्टल छीन ली थी और उन्हें धक्का देकर गाड़ी से नीचे गिरा दिया था।
विभूतिखंड पुलिस के अनुसार, गिरधारी ने पुलिसकर्मियों पर फायरिंग शुरू कर दी थी। अंधेरे का फायदा उठाकर गिरधारी झाडियों में भागने लगा था। जीप से उतरने के बाद गिरधारी धक्का देकर कितनी दूरी तक फायरिंग करते हुए भागाख् इसकी भी फॉरेंसिक टीम ने जांच व नपाई की। पुलिस टीम ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह लगातार फायरिंग कर रहा था। जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली से गिरधारी घायल हो गया था। फॉरेंसिक टीम ने एनकाउंट के दौरान पुलिस टीम व गिरधारी के बीच कितने राउंड फायरिंग हुई और किस दिशा में गोली चली, इसकी भी पड़ताल की।
15 फरवरी को तड़के पुलिस मुठभेड़ में गिरधारी की मौत हो गई थी। मुठभेड़ के बाद कई सवाल उठ रहे थे। गिरधारी के परिवारीजन ने न्यायालय में अर्जी देकर मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। इस पर न्यायालय ने हजरतगंज कोतवाली में इंस्पेक्टर विभूतिखंड और डीसीपी पूर्वी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। हालांकि पुलिस ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अर्जी दी थी। कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश पर रोक लगा दी थी।