सहकारी विभाग में हुए भर्ती घोटाले की जांच कर रही एसआईटी जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी कर सकती है। इस मामले में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप कर आरोपी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति प्राप्त कर ली है। एसआईटी ने पिछले दिनों सहकारी बैंक में सहायक प्रबंधकों की भर्ती में अनियमितता के आरोप में उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव व रविकांत सिंह के अलावा यूपी सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश कुमार मिश्र व सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। साथ ही भर्ती कराने वाली कंप्यूटर एजेंसी एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी राम प्रवेश यादव समेत सात लोगों पर एफआईआर की थी। नामजद आरोपियों में संस्थागत सेवामंडल की प्रबंध समिति के अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हैं।
इसके बाद एसआईटी ने तत्कालीन मुख्य प्रबंधक नारद यादव, तत्कालीन प्रबंधक सुधीश कुमार, तात्कालिक आंकिक आशीष जायसवाल, लेखाकार एस जायसवाल व बृजेश पांडेय और प्रबंधक कोंपल श्रीवास्तव को दो नवंबर से 29 नवंबर के दौरान बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था। अब आरोपियों की गिरफ्तारी का क्रम शुरू होगा। प्रदेश सरकार ने एसआईटी को वर्ष 2017 में सहकारिता विभाग व अधीनस्थ संस्थाओं में एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के मध्य की गई सभी नियुक्तियों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके तहत जांच एजेंसी ने उप्र सहकारी भूमि विकास बैंक, उप्र राज्य भंडारण निगम व उप्र कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में भर्ती के 49 ों के जरिए की गई भर्तियों की पड़ताल की। इनमें नौ ों से जुड़े 81 पदों पर भर्ती पूरी नहीं हो सकी थी, जबकि 40 ों से संबंधित 2343 के सापेक्ष 2324 पदों पर भर्ती की गई। छानबीन में साफ हो चुका है कि सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के जरिए कोऑपरेटिव बैंक में चार प्रकार के पदों पर भर्ती पूरी की गई लेकिन इनमें अनिवार्य शैक्षिक योग्यता में नियम के विपरीत परिवर्तन किया गया।