अजीत सिंह की हत्या की पटकथा एक साल पहले ही लिखी जा चुकी थी। इसी पटकथा के एक हिस्से के रूप में गिरधारी ने कुंटू पर धोखा देने का आरोप भी लगाया था। गिरधारी ने अजीत से मुलाकात कर साथ रहने की बात कही थी। साथ रहने के लिए वह लगातार कई दिनों तक संपर्क में था। लेकिन मोहर सिंह के मना करने के बाद अजीत ने भी उसे साथ रखने से इनकार कर दिया था।
आजमगढ़ के जीयनपुर का कुंटू सिंह काफी शातिर बदमाश है। किसी जमाने में मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना निवासी अजीत सिंह व मोहर सिंह उसके साथ ही काम करते थे। वहीं गिरधारी उर्फ डॉक्टर भी कुंटू का वफादार था। तीनों की गिनती शॉर्प शूटरों में होती थी। आजमगढ़ के सगड़ी से विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सीपू सिंह की हत्या की सुपारी कुंटू ने सबसे पहले अजीत को ही दी थी। अजीत ने मना कर दिया। इसके बाद वह धीरे-धीरे संपर्क से दूर हो गया। अजीत के पीछे कुछ दिनों बाद मोहर सिंह भी कुंटू से अलग हो गया। उसने अजीत से हाथ मिला लिया। दोनों एक दूसरे पर भरोसा करने लगे।
वहीं 19 जुलाई 2019 में विधायक सर्वेेश की हत्या कर दी गई। इस पर अजीत ने कुंटू से नाराजगी भी जाहिर की। अजीत, सीपू की हत्या का मुख्य गवाह बन गया। इस मुकदमे में गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज कराए जाने शुरू हो गए। कुंटू ने गवाही न देने के लिए उस पर दबाव बनाया लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा था। इसके बाद कुंटू ने अतरौलिया से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके अखंड सिंह से हाथ मिलाकर अजीत की हत्या करवा दी।
दो महीने तक अजीत के पीछे पड़ा था गिरधारी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, मोहर सिंह से पूछताछ में कई अहम जानकारियां हाथ मिली हैं जिसमें गिरधारी व अजीत के बीच साथ रहने को लेकर दो महीने तक चले संवाद की भी बात सामने आई। इस बात की पुष्टि भी मोहर ने की। अजीत के करीबियों के मुताबिक, गिरधारी ने जब उनसे संपर्क किया तो अजीत ने अपराध जगत छोड़ने की बात कहकर टाल दिया। इसके बाद भी गिरधारी ने पीछा नहीं छोड़ा। मोहर को उसका अजीत से मिलना खटकने लगा। मोहर के कहने पर अजीत ने कुंटू से साफ मना कर दिया।
सुपारी किलर ने खड़ा कर लिया था करोड़ों का साम्राज्य
अजीत सिंह करीब डेढ़ दशक पहले सुपारी पर हत्याएं करता था। अजीत पर पहला मुकदमा 2003 में दर्ज हुआ था। उसने 2008 में 20 हजार रुपये की सुपारी लेकर एक अपहरण को अंजाम दिया था। इसी रकम से यामाहा बाइक खरीदी। पहली हत्या 2009 में की थी। एक साल बाद उसने फिर से हत्या की। इस हत्याकांड के बाद पूरे इलाके में अजीत की धमक बन गई। उस पर कई केस दर्ज हुए। पुलिस ने उसके खिलाफ कई बार गैंगस्टर की कार्रवाई की। 2020 दिसंबर में जिला प्रशासन ने उसे जिला बदर करने का आदेश दिया।
इसी दौरान अजीत ने अपना रुख व्यापार की तरफ कर लिया। धीरे-धीरे आजमगढ़ और मऊ में कई शराब की दुकानों का लाइसेंस भी हासिल कर लिया। फिर उसने लखनऊ का रुख किया जहां कुछ प्रॉपर्टी डीलरों के साथ मिलकर कारोबार करने लगा। इनमें ज्यादातर प्रॉपर्टी डीलर पूर्वांचल से ही जुड़े थे। अजीत के जुड़ने से उनको संरक्षण भी मिला और कारोबार में रकम फंसने पर किसानों को धमकाने का एक जरिया भी। धीरे-धीरे बाइक से चलने वाला सुपारी किलर करोड़ों के कारोबार का मालिक हो गया। उसने बुलेटप्रूफ गाड़ियों का काफिला खड़ा कर लिया।
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